एसएमएस के बाहर ठेका कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से मिलने के लिए दोपहर 12 बजे अस्पताल के अधीक्षक डॉ. राजेश शर्मा, पुलिस अधीक्षक उतर व उप अधीक्षक डॉ. एन एस चौहान, ठेकेदार यहां पहुंचे। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत प्रदेशाध्यक्ष गजेन्द्र सिंह राठौड़, मुख्य संघर्ष संयोजक मुकेश बांगड़, उपसंरक्षक जहीर अहमद के साथ यहां वार्ता की गई। अधिकारियों ने मानदेय बढ़ाने का आश्वासन दिया, लेकिन ठेका कर्मचारियों का कहना है कि उनकी एक ही मांग है कि ठेका व्यवस्था खत्म की जाए और सरकार मानदेय सीधे कर्मचारियों को दे। वार्ता में इन मांगों पर सहमति नहीं मिल पाई, इस कारण ठेका कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार खत्म नहीं किया। शाम 6 बजे तक अस्पताल के बाहर ही विरोध प्रदर्शन जारी रहा।
चिकित्सा महकमे में जितने भी ठेका कर्मचारी हैं, वे अपने मानदेय की निश्चित राशि से कम मिलने पर नाराज हैं। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ का कहना है कि इन ठेका कर्मचारियों के मानदेय के लिए राज्य सरकार प्रति कर्मचारी अधिकतम 17200 रुपए मानदेय के लिए देती है। जबकि ठेकेदार इन कर्मचारियों को 5 से 7 हजार रुपए तक ही वेतन देता है। मानदेय को लेकर यह जो बड़ा अंतर है इसे खत्म किया जाए। मांग नहीं माने जाने तक कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। 25 जनवरी को राज्यभर के चिकित्सा ठेका कर्मचारी इस प्रदर्शन में शामिल होंगे।
राज्य के अस्पतालों में 15 सालों से ठेका कर्मचारी रखने का काम सरकार कर रही है। इन कर्मचारियों में कम्प्यूटर ऑपरेटर, लैब टैक्नीशियन, डाटा ऑपरेटर, वार्ड ब्वॉय से लेकर स्वीपर तक आते हैं। यह कर्मचारी ठेका कंपनियों की ओर से इन अस्पतालों में पदस्थापित किए जाते हैं। सरकार जो मानदेय देती है, वो सीधे कर्मचारियों की बजाय ठेका कंपनियों के खाते में जाता है।