scriptPeriod Leave : हां और ना में उलझा आधी दुनिया का उन दिनों का दर्द | Men and women not in favour of Period Leave | Patrika News

Period Leave : हां और ना में उलझा आधी दुनिया का उन दिनों का दर्द

locationजयपुरPublished: Mar 26, 2023 09:12:13 pm

देश में पिछले कुछ दिनों से पीरियड लीव (Period Leave) को लेकर तमाम महिलाएं और संगठन हां और ना के भ्रम में उलझे हैं। बिहार के बाद अब राजस्थान की महिला कर्मचारियों ने मासिक धर्म के दौरान अवकाश या वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) की मांग शुरू कर दी है।

Period Leave

Period Leave

नंबर गेम :
: 40 फीसदी बच्चियां इस दौरान स्कूल तक नहीं जाती
: 01 फीसदी जापानी महिलाएं ही इस दौरान लीव लेती हैं

अरुण कुमार

जयपुर। देश में पिछले कुछ दिनों से पीरियड लीव (Period Leave) को लेकर तमाम महिलाएं और संगठन हां और ना के भ्रम में उलझे हैं। बिहार के बाद अब राजस्थान की महिला कर्मचारियों ने मासिक धर्म के दौरान अवकाश या वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) की मांग शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश में महिला शिक्षक संघ भी तीन दिन अवकाश की मांग कर रहा है। हाल ही में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India) ने देशभर की महिला श्रमिकों और छात्राओं के लिए पीरियड लीव अनुरोध वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इसलिए इनकार कर दिया कि नियोक्ता महिलाओं को रोजगार देने से मना कर सकते हैं। अभी सिर्फ बिहार और केरल में पीरियड लीव का प्रावधान है। देश में करीब 40 फीसदी बच्चियां इस दौरान स्कूल नहीं जाती हैं।


देश के तमाम महिला संगठन भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि पीरियड लीव की मांग महिलाओं को निजी नौकरियों के रास्ते कम कर सकती है। देश की कामकाजी महिलाओं का उच्च वर्ग भी मासिक धर्म अवकाश (Mensuration Leave) लेने के पक्ष में कम है। वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त (Journalist Burkha Dutt) और दिल्ली महिला आयोग (Delhi Women Commission) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) जैसी तमाम महिलाएं पीरियड्स लीव को उचित नहीं मानती हैं। कारण कि इससे वे पुरुषों से बराबरी में पीछे हो सकती हैं। देश की करोड़ों महिलाएं उन दिनों सिर्फ इसलिए दर्द की दवाइयां खाकर रह जाती हैं कि उनका वेतन न कटने पाए और वे पुरुषों से पीछे न जाएं। जापान में महिलाओंं को पीरियड के दिनों अवकाश लेने का अधिकार है इसके बावजूद कई अध्ययन में इस दौरान महज एक फीसदी महिलाओं ने ही अवकाश लिया।

कामकाजी पुरुषों का बढ़ रहा विरोध
देश में महिला सशक्तिकरण की बातें करने वाले महिला-पुरुषों का एक बड़ा तबका भी ऐसी छुट्टियों का विरोध कर रहा है। तर्क दिया जा रहा है कि पहले ही मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) बढ़ाकर 26 सप्ताह किया गया है। अगर साल की 36 छुट्टियां और बढ़ जाएंगी तो महिलाओं को नौकरी कौन देगा? मगर… पीरियड्स की पीड़ा झेलती महिलाओं का ऐसा वर्ग भी हैए जो अपने स्वास्थ्य को तवज्जो देते हुए पीरियड्स लीव की मांग कर रहा है।

हकीकत बयां करता सर्वेक्षण
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार 32784 में 14 फीसदी ने पीरियड्स में अवकाश लिया। 80 फीसदी छुट्टी का सही कारण छिपाया। 68 फीसदी ने कहा कि वे इस दौरान कार्य या कालेज में कुछ लचीला विकल्प चाहती हैं। 31 फीसदी ने इस दौरान बेमन से कार्य की बात कही जिससे साल में नौ दिन का उत्पादन प्रभावित हुआ।

दुनियाभर में क्या हैं प्रावधान
स्पेन यूरोप का पहला राष्ट्र बन गया जिसने भुगतान मासिक धर्म अवकाश प्रदान करने के लिए कानून बनाया है।
इसके तहत डॉक्टर पीरियड लीव नोट (Period Leave Note) लिख सकता है। 2003 से इंडोनेशिया में महिलाओं को हर महीने दो दिनों का अवैतनिक मासिक धर्म अवकाश मिलता है। दक्षिण कोरिया में नियोक्ता अगर पीरियड लीव से इनकार करता है तो उन पर 5 मिलियन वॉन तक जुर्माना हो सकता है।

देश कितनी पीरियड्स लीव
देश दिन (मासिक)
ताइवान 3 (वार्षिक)
रूस 2
जापान 3
इंडोनेशिया 2
दण् कोरिया 3
ब्रिटेन 2
आस्ट्रेलिया 2
चीन 3
इटली 3
ज़ाम्बिया 1
स्रोत : सटेटिस्टा 2023

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