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पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की पुस्तक ‘मेरा राजस्थान: लोक जीवन की बानगी’ का वर्चुअल लोकार्पण

locationजयपुरPublished: Sep 15, 2020 11:11:29 am

Submitted by:

Kamlesh Sharma

राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि राजस्थान अपनी भौगोलिक स्थिति के लिए विशेष तौर पर पहचान रखता है।

mera rajasthan lokjivan ki bangi book Virtual launch

राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि राजस्थान अपनी भौगोलिक स्थिति के लिए विशेष तौर पर पहचान रखता है।

जयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि राजस्थान अपनी भौगोलिक स्थिति के लिए विशेष तौर पर पहचान रखता है। लोक कला के विभिन्न माध्यम जिसमें संगीत, नृत्य, साहित्य और चित्रकला समाहित है, साथ ही साथ आभूषण, वस्त्र विन्यास, खान पान और जीवन शैली की निराली शान के लिए राजस्थान की अपनी विशिष्ट पहचान है। इसी पहचान को ‘मेरा राजस्थान: लोक जीवन की बानगी’ में साफ तौर पर देखा जा सकता है। राज्यपाल मिश्र सोमवार को हिन्दी दिवस के मौके पर राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की पुस्तक ‘मेरा राजस्थान: लोक जीवन की बानगी’ के वर्चुअल लोकार्पण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।

दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र की ओर से आयोजित पुस्तक के लोकार्पण समारो ह में मिश्र ने कहा कि गुलाब कोठारी के चिंतन में गहराई है। पुस्तक में राजस्थान के भूगोल का विस्तार से उल्लेख किया है। वास्तव में भूगोल के आधार पर प्रकृति और लोक संस्कृति का ज्ञान होता है। यह पुस्तक लोक जीवन पर प्रमाणिक शोध है।
कार्यक्रम में समारोह को पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा, पुस्तक के लेखक गुलाब कोठारी, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय और सदस्य सचिव डॉ. सचिदानन्द जोशी और विभागाध्यक्ष डॉ. रमेश चन्द गौर ने भी समारोह को सम्बोधित किया।
https://youtu.be/lapwC3fDDdg
कोरोना के समय बहुत बड़ा प्रयास
रामबहादुर राय ने अपने वक्तव्य में कहा कि कोरोना के समय में गुलाब कोठारी की पुस्तक का लोकार्पण हो रहा है। ऐसा ही बड़ा प्रयास पत्रिका के संस्थापक कर्पूर चन्द्र कुलिश जी ने किया था। तब देश इमरजेंसी के दौर से गुजर रहा था, आज देश कोरोना जैसी महामारी का सामना कर रहा है। इमरजेंसी के समय जब पत्रकारों की कलम रुक गई थी, उस समय कुलिश जी ने एक दिन सोचा कि इस समय गांवों की तरफ चला चाहिए।
इसके बाद उन्होंने पूरे राजस्थान की यात्रा की और रोज उस यात्रा का विवरण पत्रिका में प्रकाशित करते। बाद में यह पुस्तक ‘मैं देखता चला गया’ के रूप में बनी। उन्होंने अपने लेखों के जरिए यह बताया था कि इमरजेंसी के दिनों में कैसे आप स्वाधीनता की रक्षा कर सकते हैं। महामारी के आज के दौर में गुलाब कोठारी ने समझाया है कि कैसे हम लोग जीवन से जुड़ सकते हैं और उसे पहचान सकते हैं। आज इन शब्दों में असली आत्मनिर्भरता पर बात हो रही है। आत्मनिर्भर एक विचार है और वो लोक जीवन से निकलता है, हमारी संस्कृति और गांव से निकलता है।
हिन्दी दिवस पर महत्वपूर्ण पुस्तक
गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कहा कि हिन्दी दिवस पर देश में गुलाब जी की महत्वपूर्ण पुस्तक सामने आई है। उन्होंने विविध विधाओं और विषयों पर लिखा है, अपने अनुभवों को शब्दों में पिरोया है। उन्होंने पत्रकारिता को ऊचांइया दी हैं, अब लोक संस्कृति को आम लोगों से जोड़ने का काम कर रहे हैं। पुस्तक में स्थानीय भाव को देखा जा सकता है, इन्होंने समाप्त होती कलाओं के प्रति मानवीय पक्ष को सामने रखने का काम किया है।
बच्चों को अपनी माटी का ज्ञान करवाना जरूरी: कोठारी
इस अवसर पर गुलाब कोठारी ने कहा कि यह पुस्तक राजस्थान का दर्पण है। हमारा जीवन और भूगोल पर्यायवाची होते हैं। जो यहां के भूगोल को नहीं समझ नहीं सकता, वह राजस्थान को नहीं समझ सकता। भूगोल से अन्न पैदा होता है, यहां से ही संस्कृति जन्म लेती है। यही संदेश पाठकों तक पहुंचना चाहिए। मुझे तकलीफ यह है कि आज शिक्षा में बच्चों को स्थानीय भूगोल पढ़ाया ही नहीं जाता। खुद के प्रदेश में नदियों, खान-पान, रहन-सहन तक की जानकारी नहीं रखते। बच्चों को अपनी धरती के बारे में तक जानकारी नहीं है। संस्कृति के नाम से सिर्फ नाच-गान को जानते हैं, जबकि संस्कृति का संबंध प्रकृति से है। इस पुस्तक के जरिए युवाओं को अपनी संस्कृति से जोड़ना और उससे प्यार करने के लिए प्रेरित करना उद्देश्य है।
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