इन जिलों में मिले बेहतरीन परिणाम
कोटा, करौली, बूंदी, बारां, झालावाड़, जोधपुर,अजमेर, झुंझुनू, जैसलमेर,जालौर, डूंगरपुर, बीकानेर, जयपुर,अलवर, सीकर, उदयपुर, राजसमंद,भरतपुर, नागौर, चित्तौडगढ़़, दौसा, चूरू, हनुमानगढ़ और टोंक जिले में इस योजना के अच्छे परिणाम सामने आए। सालों से मूलभूत सुविधाओं से वंचित वेटरनरी संस्थानों को भामाशाहों ने मदद की। इन जिलों में भी सबसे अच्छे परिणाम चित्तौडगढ़़ में देखने को मिले। कोटा में मल्टीपरपस वेटरनरी अस्पताल के साथ ही जॉइंट डायरेक्टर आफिस की दशा में सुधार हुआ तो बूंदी में मल्टीपरपस वेटरनरी अस्पताल के साथ ही पशु चिकित्सा उपकेंद्र की दशा बदली। राजधानी जयपुर की बात करें तो झोटवाड़ा के साथ ही ग्रामीण इलाकों धानक्या, दूदू, बस्सी, हरमाड़ा, शाहपुरा, बेगस,जमवारामगढ़, विराटनगर, बस्सी, रेनवाल, कोटपूतली, बगरू, आमेर, कानोता, तुंगा, तिजारा, खैरथल, राजगढ़, किशनगढ़बास, मुंडावर आदि के प्रथम श्रेणी वेटरनरी सेंटर्स की स्थिति पहले से बेहतर हुई है।
हो रही थी परेशानी
संसाधनों के अभाव में इन संस्थानों में कार्यरत वेटरनरी डॉक्टर्स के साथ ही कार्मिकों और अपने पशुओं का इलाज करवाने के लिए आने वाले पशुपालकों और किसानों को परेशानी होती थी। कहीं बैठने के लिए कुर्सी नहीं थी तो कहीं पंखें तक नहीं थे, यहां तक की कैटलशेड तक नहीं थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। सुविधाएं मिलने से पशुपालक भी अस्पताल की ओर आने लगे हैं।
इनका कहना है,
वेटरनरी संस्थानों की दशा को सुधारने के लिए हमने एक माह के लिए मेरा पशु चिकित्सालय मेरा अभिमान योजना शुरू की थी जिसके सार्थक परिणाम देखने का मिले हैं। संस्थान विहिन इन संस्थानों में भामाशाहों ने बढ़चढ़ कर मदद की है।
डॉ. वीरेंद्र सिंह, निदेशक,
एनिमल हसबैंड्री डिपार्टमेंट
कोटा, करौली, बूंदी, बारां, झालावाड़, जोधपुर,अजमेर, झुंझुनू, जैसलमेर,जालौर, डूंगरपुर, बीकानेर, जयपुर,अलवर, सीकर, उदयपुर, राजसमंद,भरतपुर, नागौर, चित्तौडगढ़़, दौसा, चूरू, हनुमानगढ़ और टोंक जिले में इस योजना के अच्छे परिणाम सामने आए। सालों से मूलभूत सुविधाओं से वंचित वेटरनरी संस्थानों को भामाशाहों ने मदद की। इन जिलों में भी सबसे अच्छे परिणाम चित्तौडगढ़़ में देखने को मिले। कोटा में मल्टीपरपस वेटरनरी अस्पताल के साथ ही जॉइंट डायरेक्टर आफिस की दशा में सुधार हुआ तो बूंदी में मल्टीपरपस वेटरनरी अस्पताल के साथ ही पशु चिकित्सा उपकेंद्र की दशा बदली। राजधानी जयपुर की बात करें तो झोटवाड़ा के साथ ही ग्रामीण इलाकों धानक्या, दूदू, बस्सी, हरमाड़ा, शाहपुरा, बेगस,जमवारामगढ़, विराटनगर, बस्सी, रेनवाल, कोटपूतली, बगरू, आमेर, कानोता, तुंगा, तिजारा, खैरथल, राजगढ़, किशनगढ़बास, मुंडावर आदि के प्रथम श्रेणी वेटरनरी सेंटर्स की स्थिति पहले से बेहतर हुई है।
हो रही थी परेशानी
संसाधनों के अभाव में इन संस्थानों में कार्यरत वेटरनरी डॉक्टर्स के साथ ही कार्मिकों और अपने पशुओं का इलाज करवाने के लिए आने वाले पशुपालकों और किसानों को परेशानी होती थी। कहीं बैठने के लिए कुर्सी नहीं थी तो कहीं पंखें तक नहीं थे, यहां तक की कैटलशेड तक नहीं थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। सुविधाएं मिलने से पशुपालक भी अस्पताल की ओर आने लगे हैं।
इनका कहना है,
वेटरनरी संस्थानों की दशा को सुधारने के लिए हमने एक माह के लिए मेरा पशु चिकित्सालय मेरा अभिमान योजना शुरू की थी जिसके सार्थक परिणाम देखने का मिले हैं। संस्थान विहिन इन संस्थानों में भामाशाहों ने बढ़चढ़ कर मदद की है।
डॉ. वीरेंद्र सिंह, निदेशक,
एनिमल हसबैंड्री डिपार्टमेंट