2020 में शुरू हुआ था काम
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि राजस्थान में कुल 40 वेदर स्टेशन बने हुए है। इनमें से 32 को अपग्रेड करने का काम साल 2020 में शुरू कर दिया गया था, लेकिन कोरोना के चलते काम गति नहीं पकड़ पाया और अभी तक 17 वेदर स्टेशनों को ही अपग्रेड किया जा सका है। वेदर स्टेशन के अपग्रेड होने पर वेदर फॉरकास्ट करने में आसानी होगी।
यह होगा फायदा
— फसलों को मौसम से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकेगा।
— अपग्रेड स्टेशनों से तापमान, वातावरण में नमी, वायुदाब और वर्षामापी से सही और सटीक जानकारी तुरंंत मिलेगी।
— मौसम वैज्ञानिक रियल टाइम वेदर मॉनिटरिंग-ऑब्र्जवेशन कर किसानों को मौसम की सटीक जानकारी देंगे।
इतनी आएगी लागत
जयपुर मौसम केंद्र के अधिकारियों के मुताबिक साल 2020 से पहले जिन जिलों में वेदर स्टेशन नहीं थे। वहां पर नए स्टेशन स्थापित किए गए है। ताकि इन जिलों की मौसम की जानकारी मिल सके। पूर्व में बड़े शहरों के अलावा कुछ चुनिंदा स्थानों पर ही वेदर स्टेशन बने हुए थे। एक वेदर सिस्टम को अपग्रेड करने में 2.5 से 3 लाख रुपए का खर्चा आएगा। ऐसे में 32 स्टेशनों को अपग्रेड करने पर करीब 90 लाख रुपए का खर्चा आएगा।
ऐसे करते हैं आंकलन
मौसम वैज्ञानिक हिमांशु शर्मा ने बताया कि आमतौर पर मौसम का बदलाव एक स्थान या समय पर हवा की स्थिति के हिसाब से होता है। यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है और इन हवा की स्थिति के जरिए मौसम का पूर्वानुमान लगाना काफी चुनौतीपूर्ण कार्य है। पूर्वानुमान की प्रक्रिया अलग—अलग स्थितियों पर जुटाए गए डेटा के आधार पर की जाती है और उन डेटा का अध्ययन करके अनुमान लगाया जाता है। ऐसे में तंत्र के अपडेट होने से मदद मिलेगी। गणना के लिए जमीनी अवलोकन, विमान से अवलोकन, रेडियो ध्वनि, डॉपलर राडार, सैटेलाइट आदि शामिल हैं।