scriptसावधान बैंक की किस्त न चुकाने के नाम पर नहीं बन जाए आप ठगी का शिकार | Method of fraud made virtual call,Fraud of not paying bank installment | Patrika News

सावधान बैंक की किस्त न चुकाने के नाम पर नहीं बन जाए आप ठगी का शिकार

locationजयपुरPublished: Apr 10, 2020 12:13:25 pm

Submitted by:

dinesh

ऑनलाइन ठगी करने वाले ठगों ने अब लॉक डाउन का फायदा उठाना शुरू कर दिया हैं। लॉक डाउन का फायदा उठाकर अब ठग बैंक ऑफर का फायदा दिलाने की बात कहकर ठगी कर रहे हैं। इस बार ठगों ने वर्चुअल कॉल को ठगी का नया हथियार बनाया है…

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जयपुर। ऑनलाइन ठगी करने वाले ठगों ने अब लॉक डाउन का फायदा उठाना शुरू कर दिया हैं। लॉक डाउन का फायदा उठाकर अब ठग बैंक ऑफर का फायदा दिलाने की बात कहकर ठगी कर रहे हैं। इस बार ठगों ने वर्चुअल कॉल को ठगी का नया हथियार बनाया है। इस तरह से ठगी करने के लिए बैंक ग्राहकों से ना उनका ओटीपी कोड को फ़ोन कर पूछा जाता है और ना ही फोन पर कोई बात करते हैं। बल्कि एक रिकॉर्डेड कॉल लोगों के पास आता है जिसके अंदर ग्राहक खुद ही संख्या और सुरक्षा पिन दर्ज कर देता हैं। ठगों ने ठगी करने का तरीका बदल लिया है और अब वह खुद कॉल नहीं कर सॉफ्टवेयर से कॉल करते हैं। इस दौरान रिकॉर्डेड कॉल में वह आपको तीन माह तक बैंक क़िस्त जमा नहीं करवाने का झांसा देते है और लोग कॉल को सुनकर उनके पूछने के अनुसार संख्या अपने मोबाइल की कीपैड से दर्ज करता जाता है। फिर बातों ही बातों में वेलकम और हैप्पी कोड के जरिए ओटीपी दर्ज करवा लेते हैं।
ऐसे करते हैं ठगी
साइबर एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि इन दिनों ठगों ने अपना तरीका बदल लिया है। वह किसी भी ग्राहक को वर्चुअल कॉल करते हैं और उस वर्चुअल कॉल के जरिए पूछते हैं कि क्या आप अपनी किस्त को इस माह में देना चाहते हैं या नहीं? यदि देना चाहते हैं तो एक दबाएं और एक्सटेंड करना चाहते है तो दो दबाइए। इस तरह ग्राहक उनकी बातों में फंसता जाता है और फिर उनके कहे अनुसार अपने मोबाइल के कीपैड से वह अंक दबाता रहता है। इसी तरह बातों ही बातों में बैंक का अकाउंट नंबर, क्रेडिट कार्ड का नंबर या डेबिट कार्ड का नंबर तक दर्ज करवा लेते हैं। जिससे ठगों के पास मौजूद सॉफ्टवेयर में यह नंबर दिखता जाता है। जिसके बाद वह ग्राहक के मोबाइल पर आने वाला ओटीपी नम्बर तक दर्ज करवा लेते हैं। दरअसल यह ओटीपी हैप्पी या वेलकम कोड के नाम पर दर्ज करवाते हैं। जो कि आपका सुरक्षा पिन का ओटीपी होता है।
हैप्पी या वेलकम कोड के चक्कर में ग्राहक इसे बातों ही बातों में अपना सुरक्षा पिन मोबाइल में दर्ज कर देता है। इसके बाद उनके बैंक खाते से पैसा निकल जाता है और उनके साथ लाखों रुपए की ठगी हो जाती हैं। साइबर एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज का कहना है कि बचाव का बस एक ही तरीका है कि कोई भी बैंक किसी भी ग्राहक को इस तरह का वर्चुअल कॉल नहीं करेंगे। इसलिए ठगों की ओर से आने वाले इस तरह के तरीके से सावधान रहें। वही अपने बैंक के कस्टमर केयर या ऑथराइज वेबसाइट पर जाकर ही किसी भी तरह के लेन-देन या फिर अन्य तरह का ट्रांजैक्शन करें। खास तौर पर ध्यान रखें कि किसी भी वर्चुअल कॉल को बैंक की ओर से नहीं किया जाता है। ना ही किसी तरह का कोड बैंक कर्मी किस्त की तारीख को आगे बढ़ाने के लिए पूछते हैं। इसलिए सावधानी ही बचाव है।
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