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जयपुर से भी मजदूरों का पलायन हुआ शुरु,पैदल हो रहे हैं रवाना

locationजयपुरPublished: Mar 28, 2020 03:34:08 pm

Submitted by:

Mukesh Sharma

(Covid 19)कोरोना महामारी के कारण (National Lockdown) राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के चलते देशभर में सभी प्रकार की गतिविधियां थम गई हैं। इसका (Direct Impact) सीधा प्रभाव (Labour class) मजदूर वर्ग पर पड रहा है। अधिकांश (Factory) फैक्टी बंद हो चुकी हैं और अन्य (Commercial activites) व्यापारिक गतिविधियां भी पूरी तरह से ठप्प हैं।

जयपुर से भी मजदूरों का पलायन हुआ शुरु,पैदल हो रहे हैं रवाना

जयपुर से भी मजदूरों का पलायन हुआ शुरु,पैदल हो रहे हैं रवाना

जयपुर
(Covid 19)कोरोना महामारी के कारण (National Lockdown) राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के चलते देशभर में सभी प्रकार की गतिविधियां थम गई हैं। इसका (Direct Impact) सीधा प्रभाव (Labour class) मजदूर वर्ग पर पड रहा है। अधिकांश फैक्टी बंद हो चुकी हैं और अन्य व्यापारिक गतिविधियां भी पूरी तरह से ठप्प हैं। फैक्ट्री मालिकों या मजदूरों को लाने वाले ठेकेदारों ने मजदूरों को थोडा बहुत पैसा दिया लेकिन अब यह पैसा भी खत्म होने लगा है।

मुहाना मंडी में ऐसे ही कुछ मजदूर अपने घर जाने की बाट जोह रहे हैं। महिन्द्र सेज में काम करने वाले इन मजदूरों के पास पैसे भी नहीं हैं और मकान मालिक ने मकान खाली करवा लिया है। कोटा, सवाईमाधोपुर और यूपी के विभिन्न जिलों के रहने वाले इन लोगों को यह भी नहीं पता कि वह अपने घर कैसे पहुंचेगे। अधिकांश के पास पैसे या तो बिल्कुल भी नहीं हैं या बहुत थोडे पैसे बचे हैं। मंडी में दोपहर करीब ढाई बजे वीरानी छाई हुई थी हालांकि इक्का—दुक्का दुकानों पर काम भी हो रहा था। मंडी में ही महिन्द्रा सेज में काम करने वाले और यूपी के रहने वाले करीब 50 से 60 लोग ट्रक से भी जाने को तैयार दिखे लेकिन,कोई ट्रक वाला जाने को तैयार नहीं था। अधिकांश को पता नहीं था कि सरकार ने बाहर जाने वालों के लिए बसें लगाने की मंजूरी दे दी है। इन लोगों को जब सरकार के फैसले की जानकारी दी गई तो अधिकांश ने बस स्टैंड की ओर रवाना होना शुरु कर दिया। इसी तरह से कई दिनों से सीतापुरा में रह रहे अधिकांश मजदूरों ने भी पैदल रवाना होना शुरु कर दिया है। इन लोगों के पास भी ना खाना है ना पैसे और यह लोग पैदल ही रवाना हुए हैं। सीतापुरा इलाके के अधिकांश मजदूरों का कहना है कि ठेकेदारों और फैक्ट्री मालिकों ने उन्हें पैसा नहीं दिया है और अब ना उनके पास कमरे का किराया देने के पैसे हैं और ना ही किराने का सामान खरीदने के पैसे हैं। कई मजदूरों का कहना था कि उन्हें लाने वाले ठेकेदार ना तो फोन कर रहे हैं और फैक्ट्री मालिकों को वह जानते तक नहीं हैं। ऐसे में उनके पास गांव जाने के अलावा अब कोई रास्ता नहीं बचा।
सुरक्षा उपायों से हैं अंजान—
अधिकांश मजदूरों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए एक दूसरे से दूरी रखने और थोडी—थोडी देर में साबुन से हाथ धोने और चेहरे को नहीं छूने जैसे प्राथमिक उपायों की जानकारी नहीं है। हालांकि अधिकांश लोगों ने अपने मूंह पर कपडा बांधा हुआ है लेकिन सामान्य हालात के समान ही एक दूसरे के नजदीक बैठे हैं या चल रहे हैं।

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