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: मिठाई के दाम और स्वाद से यूं पकड़ में आएंगे मिलावटखोर, जांच प्रयोगशाला तक लेकर जाएं मिलावटी खाद्य सामग्री का सैंपल

locationजयपुरPublished: Oct 10, 2019 12:09:30 pm

Submitted by:

Vikas Jain

– खाद्य सुरक्षा अधिनियम में है निजी स्तर पर जांच करवाने वालों के नमूनों की जांच का भी प्रावधान, लेकिन जयपुर की लैब में पहुंच पा रहे हैं कम ही जांच नमूने – सरकारी लैब की रिपोर्ट में सैंपल हुआ फेल तो आसानी से सबक सिखा सकेंगे मिलावटिये को

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जयपुर। त्योंहारी सीजन में मिलावटी मिठाइयां और खाद्य सामग्रियां हमारे शरीर में ना जाएं, इसके लिए हम अपने स्तर पर भी विभिन्न माध्यमों से मिलावटी खाद्य सामग्रियों की जांच प्रक्रिया को अपना सकते हैं। राजधानी जयपुर में सरकारी स्तर की जांच प्रयोगशालाओं के साथ ही निजी जांच प्रयोगशालाएं भी मिलावटी खाद्य सामग्रियों की जांच के लिए उपलब्ध हैं। जहां एक आम उपभोक्ता भी खाद्य सामग्री में संशय होने पर उसकी जांच करवा सकता है। इसके लिए निश्चित मात्रा में खाद्य सामग्री की आवश्यकता होती है। सरकारी नमूनों की जांच रिपोर्ट इस लैब में अधिकतम १४ दिन में दिए जाने का प्रावधान है। वहीं निजी जांच नमूनों की रिपोर्ट भी इस लैब से कार्य दबाव के आधार पर न्यूनतम समय में उपलब्ध करवा दी जाती है।
खाद्य सुरक्षा अधिनियम में निजी जांच नमूनों की जांच करने की छूट भी दी हुई है। राजधानी जयपुर में सेठी कॉलोनी स्थित राजकीय जांच प्रयोगशाला में भी नमूनों की जांच की जाती है। लेकिन आमजन में जागरुकता के अभाव में यहां नमूने कम ही संख्या में जांच के लिए आ रहे हैं। जयपुर शहर में शास्त्री नगर स्थित दूध मंड़ी में भी न्यूनतम दरों पर दूध की जांच की व्यवस्था है। कुछ जांचों से दूध में फेट, एसएनएफ और तेल आदि की मिलावट पकड़ी जा सकती है। जहां तक संभव हो, नमूनों की जांच सरकारी जांच प्रयोगशालाओं में ही करवाएं। हालांकि जयपुर शहर में निजी जांच लैब भी जांच के लिए उपलब्ध हैं।
मिलावट की पहचान के दो बड़े बिंदु

विशेषज्ञों के अनुसार मिलावटी खाद्य सामग्रियों की पहचान के दो सबसे बड़े बिंदु संबंधित खाद्य सामग्री के दाम और उसका स्वाद है। ये दोनों बिंदु ऐसे हैं, जिनसे खाद्य सामग्री विक्रेता के यहां ही संबंधित सामग्री की पहचान प्राथमिक तौर पर की जा सकती है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी भी सैंपल उठाते समय इन बिंदुओं पर मुख्य तौर पर इन्हीें बिंदुओं का ध्यान रखते हैं। इनका कहना है कि किसी भी मिठाई का स्वाद प्रथम दृष्टया यह बता देता है कि उसमें मिलावट की आशंका है। वहीं सामग्री के दाम भी महत्वपूर्ण होते है। यदि किसी मिठाई का बाजार भाव ३०० रुपए प्रति किलो है और कोई विक्रेता उसे १५०, २०० या २२५ रुपए तक में ही बेच रहा है तो उसमें मिलावट की आशंका होती है। वह इसलिए, क्योंकि हर मिठाई और खाद्य सामग्री को सबसे बेहतर तरीके से बनाने के लिए कुछ तय मानक होते हैं। उनको पूरा किए बिना वे १०० प्रतिशत रूप में सामने नहीं आ सकते।
इतनी मात्रा न्यूनतम आवश्यक खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार

दूध – आधा लीटर
मावा – एक पाव
पनीर – एक पाव
मिठाई – आधा किलो
मसाले – आधा-आधा किलो

सैंपल तैयार करने से पहले यह रखें ध्यान
– जहां से खरीदा है, उसका बिल आपके पास हो तो बाद में कार्यवाही में आसानी होगी
– दूध को फटने से बचाएं, फटे हुए दूध के नमूने की जांच नहीं हो पाएगी
– यदि सैंपल ले जाने में समय लग रहा है तो कांच की बोतल में आधा लीटर दूध लेकर उसे फ्रिज में रखा जा सकता है
घर में बनी मिठाइयों का ही अधिकतम करें उपयोग

मिलावटी खाद्य सामग्रियों के सेवन से बचने के लिए त्योंहारी सीजन में अधिक से अधिक घर पर बनी मिठाइयों का ही प्रयोग किया जाना चाहिए। इसके लिए आप अपने परिचितों, मित्रों से भी सुझाव ले सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार मावे से बनी मिठाइयां तो त्योंहार के समय बाजार से खरीदने से बचना ही चाहिए। ऐसी मिठाइयां बहुतायत में आवश्यक ही हो तो उन्हें स्पेशल ऑर्डर देकर स्वयं की देखरेख मे बनवाया जाना चाहिए। कम मात्रा में आवश्यकता होने पर कोशिश करें कि घर पर बने मावे से घर पर ही मिठाइयां तैयार कर लें। वैसे आपकी सेहत का खयाल रखने के लिए चिकित्सा विभाग के खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीमें सजग हैं। लेकिन यदि हम खुद भी सजग रहेंगे तो मिलावटियों की पहचान और आसान हो सकेगी।
डॉ.रविप्रकाश, अतिरिक्त निदेशक, ग्रामीण स्वास्थ्य, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग

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