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कुछ भी खिला रहे और कुछ भी दाम वसूल कर रहे, इस तरह ठग रहे हैं आम जनता को

locationजयपुरPublished: Feb 12, 2019 11:45:16 pm

Submitted by:

Vikas Jain

– स्वास्थ्य विभाग की केन्द्रीय निदेशालय टीम की जयपुर में बड़ी कार्यवाही
 

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कुछ भी खिला रहे और कुछ भी दाम वसूल कर रहे, इस तरह ठग रहे हैं आम जनता को

विकास जैन — जयपुर। आमजन को खाद्य सामग्रियों की बिक्री में किस तरह लूटा जा रहा है, इसकी बानगी मंगलवार को राजधानी जयपुर में स्वास्थ्य विभाग की कार्यवाही में सामने आई। टीम ने यहां अनहाइजेनिक स्थिति में सॉस बनाने के कारोबार का खुलासा तो किया ही। साथ ही यहां यह भी सामने आया कि मात्र २४ रूपए कीमत की सॉस की बोतल पर ९० रूपए एमआरपी दर्ज कर बेचा जा रहा है। इससे यह भी साफ हो गया है कि खुले खाद्य बाजार में एमआरपी दर्ज किए जाने पर कोई नियंत्रण नहीं है। जिससे इनके निर्माता खुले बाजार के विक्रेताओं को अधिक से अधिक मुनाफा कमाने का मौका देते हैं, जिससे निर्माता की बिक्री भी बढ़ रही है। कुछ दिन पहले राजस्थान पत्रिका ने दवा बाजार में अनियंत्रित एमआरपी का खुलासा किया था।
चिकित्सा विभाग की केन्द्रीय निदेशालय की टीम ने मिलावटखोरों और आमजन की सेहत से खिलवाड़ कर सिर्फ मुनाफा कमाने पर ध्यान देने वाले कारोबारियों के खिलाफ अभियान के तहत मंगलवार को आगरा रोड स्थित एक फर्म पर अनहाइजेनिक स्थिति में सॉस का कारोबार पकड़ा है। टीम ने यहां पाया कि जहां काम किया जा रहा था, वहां फर्श टूटी हुई थी, उस पर टाइल्स तक नहीं थी। सॉस बनाने में लगे कर्मचारियों का कम्यूनिकेशन बीमारियों का प्रमाण पत्र भी मौके पर नहीं मिला। नियमानुसार इसके बिना खाद्य सामग्रियों का निर्माण नहीं किया जा सकता। यहां बिना किसी पूर्व घोषणा के ही सॉस बनाने में रंग का भी इस्तेमाल किया जा रहा था। यह कार्यवाही राज्य नोडल अधिकारी सुनील सिंह के निर्देश पर की गई। टीम ने मौके पर से स् नेक सॉस का एक नमूना जांच के लिए लिया है। साथ ही संचालक को कर्मचारियों का मेडिकल करवाने तक काम शुरू नहीं करने के निर्देश दिए हैं। यहां सैंपल लेने के बाद एक किलो की ३६८ सॉस की बोतलें सीज करवा दी गई हैं।
अधिक एमआरपी दर्ज करने पर खुदरा विक्रेता अधिक खरीदते हैं माल

टीम में शामिल खाद्य सुरक्षा अधिकारी विनोद शर्मा ने बताया कि इस फर्म का मालिक तीर्थराज शर्मा है।यहां संचालक ने पूछताछ में टीम को बताया कि सॉस की बोतल की कीमत २४ रूपए में है। जबकि उस पर एमआरपी ९० रूपए दर्ज है। उन्होंने बताया कि निर्माता से बाजार में खुदरा विक्रेता इस तरह की एमआरपी की सॉस की बोतलें आसानी से खरीद लेते हैं। अनियंत्रित एमआरपी में विक्रेता को खुले बाजार में मनमाने दाम वसूलने का मौका मिल जाता है। साथ ही निर्माता की बिक्री भी बढ़ती है। यहां सुपर से उपर ब्रांड नाम से सॉस बनाया जा रहा था।
पत्रिका ने दवा कारोबार का किया था खुलासा
राजस्थान पत्रिका ने पिछले दिनों एमआरपी एक, बेचने की कीमत अनेक शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर दवा कारोबार के मुनाफे का खुलासा किया था। समाचार में बताया गया था कि असाध्य बीमारियों की दवाओं पर भी अनियंत्रित एमआरपी दर्ज की जा रही है। १० हजार रूपए एमआरपी की दवा २५०० रूपए में भी बेची जा रही है। ऐसा सभी दवाओं पर अधिकतम एमआरपी तय नहीं होने से हो रहा है। यानि निर्माता ने अपनी मर्जी से दवा पर १० हजार रूपए अंकित कर दी। जबकि खुदरा विक्रेता तक वह २ हजार रूपए में ही पहुंच रही है। ऐसे में खुदरा विक्रेता को २ हजार से १० हजार रूपए तक की वसूली का मौका मिल जाता है।
कार्मिकों ने बताई मटर दाल, केसारी दाल के संदेह पर फैक्ट्री की सीज

चिकित्सा विभाग की टीम ने मंगलवार को बस्सी औद्योगिक क्षेत्र स्थित जय गणेश फूड प्रोडक्ट पर कार्यवाही कर यहां रखे पीले रंग की दाल और बेसन बनाते हुए पकड़ा है। यहां काम करते हुए कार्मिक मिले, जिन्होंने उस दाल को मटर दाल होना बताया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जयपुर द्वितीय डॉ प्रवीण असवाल ने बताया कि दाल को देखने से उसके मटर दाल नही होकर केसारी दाल होने का संदेह हुआ।
केसरी दाल प्रतिबंधित दाल है। पूछताछ व कार्यवाही के लिए टीम ने फैक्ट्री मालिक से संपर्क कर उसे मौके पर बुलाया, लेकिन दो घंटे प्रतीक्षा करने पर भी फैक्ट्री मालिक उपस्थित नही हुआ। टीम ने बताया कि फैक्ट्री मालिक ने विवाह समारोह में लखनऊ में होने के कारण उपस्थित होने में असमर्थता जताई और अगले दिन जयपुर आना बताया। जिस पर यहां फैक्ट्री में बेसन बनाए जाने के लिए रखी 1500 किलो संदिग्ध केसारी दाल एवं उससे तैयार किया गया करीब 1000 किलो बेसन मौके पर फैक्ट्री में ही सीज किया गया। फैक्ट्री मालिक को अगले दिन उपस्थित होने के लिए दूरभाष पर सूचित किया गया और निर्माण इकाई को सीज कर नोटिस चस्पा किया गया।
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