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विश्व दुग्ध दिवस : दूध से राजस्थान का हो सकता है सशक्तिकरण

locationजयपुरPublished: Jun 01, 2023 02:02:41 am

Submitted by:

Shailendra Agarwal

पषुपालन व गोपालन विभाग के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ.खेमराज का कहना है

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जयपुर। देश का 10.6 प्रतिशत पशुधन रखने वाला राजस्थान दूध उत्पादन में देश में दूसरे से पहले स्थान पर आ गया है। राज्य के सकल घरेलू मूल्यं संवर्धन में फसलों व पशुपालन का योगदान अब लगभग बराबर सा हो गया है। पषुपालन व गोपालन विभाग के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ.खेमराज का मानना है कि दूध उत्पादन से आर्थिक सशक्तिकरण और हो सकता है, बशर्ते हम कुछ प्रयास करें।
विश्व दुग्ध दिवस के उपलक्ष में उनका कहना है कि वर्ष 2022-2023 में राजस्थान की सहकारी डेयरी संस्थाओं ने औसतन 31.48 लाख किलो दूध प्रतिदिन क्रय किया जो कीर्तिमान है। मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादन संबल योजना में वर्ष 2018-2019 से मार्च 2023 तक लगभग 1109 करोड़ रू. सीधा पशुपालकों को अतिरिक्त सहायता के रूप में दिए। इससे पशुपालकों में पशुपालन के प्रति उत्साह जागृत हुआ है, लेकिन गायों व भैंसों की दूध उत्पादकता राज्य में अभी भी कम है। इसको बढाने के लिए नस्ल सुधार कार्यक्रम में और गति लाने की आवश्यकता है। इसके लिए कृत्रिम गर्भाधान करने वाले तकनीकी व्यक्तियों को प्रभावी प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है। बेहतर समन्वय कर कम लागत में, कम समय में तीव्र गति से नस्ल सुधार कर गायों व भैसों की दूध उत्पादन क्षमता में वृद्धि कर सकते है। पशुओं में प्रभावी टीका करण व रोग नियंत्रण, रोग प्रबंधन करना भी आवश्यक है ।
राजस्थान के पास राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र है जो देश में सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। इस क्षेत्र में राजस्थान की डेयरी संस्थाओं का दूध व इसके उत्पाद बहुत कम मात्रा में जाते है। यहां विपणन बढा कर पशुपालकों की आय बढाई जा सकती है। बढते शहरीकरण, बढती प्रति व्यक्ति आय व जीवन शैली में बदलाव से दूध व दूध से बने उत्पादों की मांग बढती रहेगी।
सहकारी डेयरी संस्थाएं माँग के अनुरूप गुणवतायुक्त दुग्ध उत्पादन कर राज्य के कम आय कमाने वाले पशुपालकों की आय में वृद्धि कर सकती है। राज्य में संस्थाओं व पशुपालको में बेहतर समन्वय की आवश्यकता है। महिला सक्षक्तीकरण के लिए भी यह एक प्रभावी उपाय है। जितना शीघ्र हो, उतना ही बेहतर।
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