जिम्मेदारों का तर्क
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यहां फसल उत्पादन के लिए वातावरण ठीक है, लेकिन बीज उत्पादन के लिए अनुकूल नहीं है। आंध्रप्रदेश, तेलंगाना में वातावरण ठीक है। इसलिए सभी कंपनियां वहीं बीज तैयार करती हैं। वो वहां फरवरी-मार्च में बीज तैयार करती हैं, तापमान भी स्थिर रहता है। यहां बदलता रहता है, इसलिए दाना नहीं बन पाता है।
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यहां फसल उत्पादन के लिए वातावरण ठीक है, लेकिन बीज उत्पादन के लिए अनुकूल नहीं है। आंध्रप्रदेश, तेलंगाना में वातावरण ठीक है। इसलिए सभी कंपनियां वहीं बीज तैयार करती हैं। वो वहां फरवरी-मार्च में बीज तैयार करती हैं, तापमान भी स्थिर रहता है। यहां बदलता रहता है, इसलिए दाना नहीं बन पाता है।
13 किस्म विकसित करने का दावा
दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक और अखिल भारतीय अनुसंधान बाजरा परियोजना के प्रभारी डॉ. एलडी शर्मा का कहना है कि दुर्गापुरा अनुसंधान केंद्र में बाजरे को लेकर 1977 से काम किया जा रहा है। अब तक यहां इसकी 13 किस्में तैयार हो चुकी हैं। लगभग सभी किस्म के बीज बाजार में उपलब्ध हैं। किसानों की मानें तो बाजार में स्थिति इसके उलट है। बिक्री केंद्रों पर नाममात्र ही बीज की किस्म उपलब्ध हैं। ज्यादातर किसान निजी कंपनियों के बीज को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। उनका कहना है कि, कृषि विभाग के द्वारा तैयार बीजों से पैदावार कम होती है, जबकि निजी कंपनियों के बीज से पैदावार और चारा दोनों अच्छे होते हैं। इसके अलावा निजी कंपनियां किसानों को नजदीक खाद-बीज की दुकान या घर बैठे बीज उपलब्ध करा देती हैं। जबकि विभाग के बीज बिक्री केंद्र नाममात्र ही हैं और वो भी दूरी पर होते हैं। यही वजह है कि, बीज बिक्री में निजी कंपनियों का बोलबाला है।
दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक और अखिल भारतीय अनुसंधान बाजरा परियोजना के प्रभारी डॉ. एलडी शर्मा का कहना है कि दुर्गापुरा अनुसंधान केंद्र में बाजरे को लेकर 1977 से काम किया जा रहा है। अब तक यहां इसकी 13 किस्में तैयार हो चुकी हैं। लगभग सभी किस्म के बीज बाजार में उपलब्ध हैं। किसानों की मानें तो बाजार में स्थिति इसके उलट है। बिक्री केंद्रों पर नाममात्र ही बीज की किस्म उपलब्ध हैं। ज्यादातर किसान निजी कंपनियों के बीज को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। उनका कहना है कि, कृषि विभाग के द्वारा तैयार बीजों से पैदावार कम होती है, जबकि निजी कंपनियों के बीज से पैदावार और चारा दोनों अच्छे होते हैं। इसके अलावा निजी कंपनियां किसानों को नजदीक खाद-बीज की दुकान या घर बैठे बीज उपलब्ध करा देती हैं। जबकि विभाग के बीज बिक्री केंद्र नाममात्र ही हैं और वो भी दूरी पर होते हैं। यही वजह है कि, बीज बिक्री में निजी कंपनियों का बोलबाला है।
बाजार में खूब बिक रहा नकली बीज
बाजार में कई निजी कंपनियों द्वारा नकली बीज का कारोबार पनप रहा है। जांच में आए दिन अमानक स्तर के नमूने सामने आ रहे हैं। निजी कंपनियां किसानों को अच्छी पैदावार का लालच देकर ठग रही हैं। इससे व महंगाई से बचने के लिए बीते पांच साल से सालाना बाजरा, मूंग, मोठ, ग्वार आदि बीज रख लेता हूं। जिससे फसल के नुकसान का भी कम खतरा रहता है और पैदावार भी ठीक होती है।
– सुरेंद्र अवाना, किसान
बाजार में कई निजी कंपनियों द्वारा नकली बीज का कारोबार पनप रहा है। जांच में आए दिन अमानक स्तर के नमूने सामने आ रहे हैं। निजी कंपनियां किसानों को अच्छी पैदावार का लालच देकर ठग रही हैं। इससे व महंगाई से बचने के लिए बीते पांच साल से सालाना बाजरा, मूंग, मोठ, ग्वार आदि बीज रख लेता हूं। जिससे फसल के नुकसान का भी कम खतरा रहता है और पैदावार भी ठीक होती है।
– सुरेंद्र अवाना, किसान