बारिश में भीगा लाखों का अनाज
मंडी में खुले में रखे थे अनाज के 20 हजार कट्टे
बारिश के कारण गीला हुआ अनाज
टिड्डी हमले से तो किसान पहले ही परेशान थे और अब उनकी पूरे साल की मेहनत पर पानी फिर गया। जी हां, भीलवाड़ा जिले की जहाजपुर कस्बे की गौण कृषि उपज मंडी में सुविधाएं नहीं हैं। इसी का नतीजा है कि पिछले कई दिनों से हो रही बरसात से मंडी में रखी जिंस की तकरीबन २० हजार बोरियां भीग चुकी हैं और लाखों रुपए का जिंस खराब हो गया है, यह अनाज किसान मंडी में बेचने के लिए लाए थे।
आपको बता दें कि मंडी में टीन शेड नहीं होने से किसानों का माल खुले में ही रखना पड़ता है। तुलाई होने तक अनाज की बोरियों को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त टीन शेड और बड़ा गोदाम नहीं है। इससे किसानों के साथ व्यापारियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। मंडी में टीन शेड नहीं होने से गेहूं के साथ ही अन्य जिसं की बोरियां गीली हो गई। टीन शेड लगाने के लिए व्यापारियों ने मंडी प्रशासन से कई बार मांग की है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। आपको बता दें कि इनमें ९ हजार गेंहू की बोरियां भारतीय खाद्य निगम के हैं।
पांच हजार कट्टे आढ़तियों के और शेष चने और सरसों से भरे सरकारी खरीद के कट्टे हैं। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि बारिश के चलते इनमें रखा जिंस अब अंकुरित होने लगा है। आपको बता दें कि कृषि मंडी परिसर में एक वेयर हाउस है जिसकी क्षमता 2 हजार क्विंटल अनाज रखने की है। जबकि 20 हजार कट्टे अनाज से भरे हुए मंडी परिसर में रखे हुए हैं। जिनको ढकने के लिए एक भी टीन शेड नहीं बनाया गया है। मंडी परिसर में टीन शेड तो दूर श्रमिकों के बैठकर भोजन करने के लिए छाया की व्यवस्था तक नहीं है। मंडी परिसर में कार्य करने वाले मजदूर पेड़ पौधों की छाया के नीचे बैठकर भोजन करते हैं।
32 साल पूर्व मिली जहाजपुर को मंडी की सौगात
आपको बता दें कि वर्ष 1989 .90 में जहाजपुर मंडी का उद्घाटन तत्कालीन कृषि मंत्री दिग्विजय सिंह ने किया था। उस समय जनता दल से क्षेत्रीय विधायक शिवजी राम मीणा हुआ करते थे। धीरे.धीरे समय गुजरता चला गया मंडी को लेकर उस समय किसानों में जागरुकता नहीं होने से किसान अपनी उपज मंडी में बेचने के बजाय खेतों में सीधे ही साहूकारों को दिया करते थे। एेसे में कृषि मंडी धीरे.धीरे घाटे में जाने लगी। कम आवक होने से वर्ष 1995 .96 कृषि मंडी अधिकारियों ने उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर जहाजपुर मंडी को गौण मंडी बनाते हुए देवली मंडी में मिला दिया, लेकिन इसके बाद भी जहाजपुर कृषि मंडी 32 साल बाद भी विकास की बाट जो रही है। गौण मंडी होने से उच्च अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं लगा रहे हैं। गौण मंडी में निश्चित खरीद के बाद किसानों को अपना माल ओने पौने दामों में निजी दलालों को बेचने पर विवश होना पड़ रहा है।
विधानसभा में भी उठा मामला
इस संदर्भ में विधायक गोपीचंद मीणा ने बताया कि गौण मंडी का दंश झेल रही जहाजपुर मंडी को कृषि उपज मंडी का दर्जा दिलाने के लिए विधानसभा में भी प्रश्न उठाया है, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान सरकार से भी मुलाकात कर लिखित पत्र दिया मुख्यमंत्री ने कृषि उपज मंडी का दर्जा दिलाने का आश्वासन भी दिया था लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ।
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