एसीएस माइंस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राममंदिर के लिए पत्थर से जुड़ा अतिसंवेदनशील मामला होने के कारण मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस प्रकरण में गंभीर थे और उनके अथक प्रयासों से ही पहले अतिसंवेदनशील बंशी पहाड़पुर खनन क्षेत्र ब्लॉक ए व बी सुखासिला एवं कोट क्षेत्र को बंध बारेठा वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र से बाहर करवाया गया और उसके बाद केन्द्र सरकार के वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वन भूमि के डायवर्जन की स्वीकृति जारी कराई गई। भारत सरकार की स्वीकृति के साथ ही राजस्थान के माइंस विभाग ने बंशी पहाड़पुर में खनन ब्लॉक तैयार कर इनके ऑक्शन की तैयारी आरंभ की गई और इसके लिए एसएमई जयपुर प्रताप मीणा को इस कार्य के समयवद्ध क्रियान्वयन के लिए प्रभारी अधिकारी बनाते हुए जिम्मदारी दी गई। माइंस एवं गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने इस कार्य को प्राथमिकता में रखते हुए बंशी पहाड़पुर क्षेत्र में खानों के प्लाट तैयार कर उनकी ई— नीलामी व वैद्य खनन के लिए किए जा रहे प्रयासों की निरंतर मोनेटरिंग करते रहे हैं। बंशी पहाड़पुर के पत्थर की राम मंदिर निर्माण में भी मांग को देखते हुए यह इस क्षेत्र में वैध माइंनिग शुरु करवाना राज्य सरकार के लिए संवेदनशील रहा है।
राज्य सरकार ने बंशीपहाड़पुर में 41 प्लॉट तैयार कर भारत सरकार के ई—पोर्टल के माध्यम से ई—नीलामी के बाद पहले कलस्टर क्लीयरेंस प्राप्त की गई। पिछले दिनों 41 मंशाधारकों में से 12 मंशंधारकों को एसईआईएए द्वारा पर्यावरणीय क्लीयरेंस जारी कर दी गई। अब 4 को छोड़कर सभी मंशधारकों को स्टेट एंवारयरमेंट इंपेक्ट एसेसमेंट कमेटी द्वारा एनवायरमेंट क्लीयरेंस जारी कर दी गई है। 4 मंशाधारकों ने अभी तक ईसी के लिए आवेदन नहीं किया है। 5 खनन पट्टाधारकों को जलवायु सहमति प्राप्त हो गई है और इनमें से 3 खानों में खनन कार्य आरंभ हो गया है। शेष खानों में भी जुलाई के दूसरे सप्ताह तक खनन आरंभ हो जाएगा। क्षेत्र में विश्वविख्यात गुलाबी लाल पत्थर का करीब 26 साल बाद वैध खनन आरंभ हो गया है। इससे हजारों लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा, वहीं नए निवेश की राह प्रशस्त होगी।