कांग्रेस के चिंतन शिविर में हुए निर्णयों पर चर्चा के लिए कोटा में शनिवार को नव संकल्प घोषणापत्र को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें धारीवाल ने कहा कि चिंतन शिविर में जो तय हुआ वह हाईकमान का फैसला है, मानना ही पड़ेगा। सवाल यह है कि वो फैसले तो कर लेते हैं, लेकिन उन पर कायम नहीं रहते हैं। फैसला कर दिया तो मेहरबानी करके आप भी कायम रहो। यदि आपको 50 साल तक के व्यक्ति को ही टिकट देना है तो दो लेकिन जीतने वालों को ही टिकट दो। यदि जीतने वालों को टिकट नहीं देंगे तो फिर कैसे काम चलेगा।
दो बार हारे को टिकट नहीं देने की बात से भी पलट गए धारीवाल ने कहा कि पहले नियम बना दिया था कि दो बार हारे हुए विधायक प्रत्याशी को टिकट नहीं मिलेगा, लेकिन जब बीकानेर की बात आई तो दो बार हारे बी.डी. कल्ला को टिकट दे दिया।
जनप्रतिनिधि की सेवानिवृत्ति की उम्र नहीं होती जनप्रतिनिधि की सेवानिवृत्ति की उम्र लागू करने के मामले में एआइसीसी (खादी) के सदस्य पंकज मेहता ने कहा कि जनप्रतिनिधि की कोई सेवानिवृत्ति नहीं होती है। वह लोकसेवक नहीं होता, वह जनसेवक होता है। कांग्रेस नेता अमित धारीवाल ने कहा कि सत्ता व संगठन हमेशा एक साथ होना चाहिए, लेकिन सत्ता आने के बाद संगठन को दरकिनार कर दिया जाता है। कांग्रेस कार्यालय में अध्यक्ष को सप्ताह में तीन दिन बैठक करके कार्यकर्ताओं से चर्चा करनी चाहिए। कांग्रेस नेता राजेन्द्र सिंह चौधरी एवं गजेंद्र सिंह सांखला ने शिविर में कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया।