दऱअसल राजेंद्र गुढ़ा ने तो अभी तक पदभार ग्रहण किया है और न ही वे अपने सचिवालय स्थित दफ्तर में बैठ रहे हैं। हैरत की बात तो यह है कि उन्होंने गुरुवार को अपनी सरकारी गाड़ी भी स्टेट मोटर गैराज को लौटा दी, जिससे अब राजेंद्र गुढ़ा के इस कदम को प्रेशर पॉलिटिक्स के तौर पर देखा जा रहा है। सूत्रों की माने तो राजेंद्र गुढ़ा चाहते हैं जब तक बसपा से कांग्रेस में आए उनके पांच साथियों को संसदीय सचिव बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा नहीं दिया जाता है तब तक वह पदभार ग्रहण नहीं करेंगे।
वाजिब अली से हुई अभी मुलाकात
वहीं गुरुवार को राजेंद्र गुढ़ा ने जयपुर में बसपा से कांग्रेस में आए विधायक वाजिब अली से भी लंबी मुलाकात करके सियासी चर्चा की थी। माना जा रहा है कि दोनों के बीच इसी बात को लेकर चर्चा हुई है कि बसपा से कांग्रेस में आए सभी विधायकों को सरकार में भागीदारी मिले।
विभाग से भी खुश नहीं गुढ़ा
बताया यह भी जाता है कि राजेंद्र गुढ़ा मंत्रिमंडल पुनर्गठन के बाद उन्हें दिए गए सैनिक कल्याण विभाग और गृह रक्षा विभाग से खुश नहीं हैं। वह अपने लिए कुछ और विभाग से चाहते हैं। बताया जा रहा है कि इसके चलते भी राजेंद्र गुढ़ा ने अभी तक पदभार ग्रहण नहीं किया है और अब अपनी सरकारी गाड़ी भी लौटा दी।
गुढ़ा के मंत्री बनने से नाराज हुए थे 5 विधायक
इधर मंत्रिमंडल पुनर्गठन में बसपा के 6 विधायकों में से केवल राजेंद्र गुढ़ा को मंत्री बनाए जाने से पांचों विधायकों ने गहरी नाराजगी जताई थी और इसे लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की थी जिस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पांचों विधायकों को संसदीय सचिव बनाने और सरकार में भागीदारी देने की बात कही थी।
मुख्यमंत्री के बेहद करीबियों में शामिल हैं गुढ़ा
मंत्री राजेंद्र गुढ़ा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेहद करीबियों में शामिल हैं। बसपा विधायकों का कांग्रेस में विलय कराने में भी राजेंद्र गुढ़ा की बड़ी भूमिका रही है।
2 साल पहले हुए थे बसपा विधायक कांग्रेस में शामिल
दरअसल राज्य में गहलोत सरकार बनने के बाद 17 सितंबर 2019 को बसपा के टिकट पर चुनाव जीत कर आए छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे इनमें राजेंद्र गुड्डा जोगिंदर अवाना लाखन सिंह दीपचंद खेरिया संदीप यादव राजीव अली है हालांकि बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों का दल बदल कानून के तहत मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।