- 2030 तक भारत को एयर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में शीर्ष देश बनाने का लक्ष्य। 2023 यानी अगले वर्ष वैश्विक हवाई खेलों की मेजबानी को भी तत्पर।
- 10,000 करोड़ का हो जाएगा आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र का राजस्व और एक लाख नौकरियों के सृजन में मदद भी मिलेगी।
राष्ट्रीय वायु खेल नीति यानी नेशनल एयर स्पोर्ट्स पॉलिसी (एनएएसपी) में 11 तरह की हवाई खेल गतिविधियों जैसे एरोबेटिक्स, एरोमॉडलिंग और रॉकेट्री, बैलूनिंग, ड्रोन, ग्लाइडिंग, हैंग ग्लाइडिंग, पैराग्लाइडिंग, माइक्रोलाइटिंग, पैरामोटरिंग, स्काइडाइविंग और विंटेज एयरक्राफ्ट को शामिल किया गया है। इसमें देश में अलग-अलग जगह हवाई क्लस्टर समेत पूरा इकोसिस्टम बनाने का प्रावधान है। अभी देश में करीब पांच हजार लोग हवाई खेलों से जुड़े हैं और करीब 80 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित होता है।
एनएएसपी का उद्देश्य एक ऐसी संरचना विकसित करना है ताकि एयर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में भारत दुनिया का अग्रणी राष्ट्र बने। इसमें हवाई खेल क्षेत्र को सुरक्षित, किफायती, सुलभ, आनंददायक और टिकाऊ बनाते हुए एयर स्पोर्ट्स के प्रति खिलाड़ियों की अधिक भागीदारी और उनके उत्साह को आकर्षित करना है। सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने पर इसमें दंडात्मक कार्रवाई का भी प्रावधान है। नीति का पहला मसौदा इसी वर्ष 1 जनवरी को जारी किया गया था। मसौदा जारी करने वाली समिति में सशस्त्र बलों के अधिकारी, राष्ट्रीय कैडेट कोर के सदस्य और विशेषज्ञ शामिल थे।
केन्द्र सरकार का मानना है कि युवा आबादी भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश है। देश की अनुकूल जलवायु व पारिस्थितिकी तंत्र के चलते विश्व में भारत हवाई खेलों के लिहाज से मजबूत स्थिति हासिल कर सकता है। देश भर में ‘एयर स्पोर्ट्स हब’ के निर्माण से, पूरे विश्व से ‘एयर स्पोर्ट्स पेशेवर’ और पर्यटक भारत आएंगे। इससे विमानन गतिविधियों में रुचि बढ़ेगी और पर्यटन के साथ स्थानीय रोजगार में वृद्धि होगी।