जिन जिलों में जिलाध्यक्षों के लिए अल्पसंख्यक नेताओं की ओर से दावेदारी की जा रही है उनमें जयपुर शहर, जोधपुर, नागौर, चूरू, धौलपुर, सवाई माधोपुर, जैसलमेर और टोंक जिले शामिल हैं। आधा दर्जन से अधिक जिलों में अल्पसंख्यक वर्ग के दावे के चलते पार्टी नेतृत्व भी कई जिलों में अल्पसंख्यक नेताओं के नामों पर मंथन में जुटा है।
अल्पसंख्यक नेता लगातार कर रहे हैं लॉबिंग
सूत्रों की माने तो आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में जिलाध्यक्ष बनाए जाने की मांग को लेकर कांग्रेस से जुड़े हुए नेता लगातार जयपुर से दिल्ली तक लॉबिंग कर रहे हैं। अल्पसंख्यक नेताओं का कहना है कि मंत्रिमंडल और अभी तक जितनी भी राजनीतिक नियुक्तियां हुई है हुई है उनमें अल्पसंख्यक वर्ग की अनदेखी कोई है जिससे अल्पसंख्यक वर्ग में खासी नाराजगी बढ़ी है।
ऐसे में अल्पसंख्यक वर्ग नाराजगी दूर करने के लिए उन्हें संगठन में अहमियत दी जाए। हालांकि आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में भले ही अल्पसंख्यक नेताओं का दावा हो लेकिन अल्पसंख्यक नेताओं को कहां एडजस्ट किया जाना है यह सब कांग्रेस आलाकमान पर ही निर्भर करेगा।
निकाय चुनाव में भी सामने आई थी नाराजगी
इससे पहले बीते साल नवंबर माह में 6 नगर निगमों के हुए चुनाव के अंदर दौरान भी जोधपुर उत्तर और जयपुर हेरिटेज में अल्पसंख्यक वर्ग से महापौर नहीं बनाए जाने के बाद कांग्रेस से जुड़े अल्पसंख्यक नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय के बाहर धरने प्रदर्शन भी किए थे, जिसके बाद से ही कांग्रेस में अल्पसंख्यक नेताओं की नाराजगी दूर करने और उन्हें संगठन में अहमियत देने का आश्वासन पार्टी नेताओं की ओर से दिया गया था।
जयपुर पर खास फोकस
पार्टी के विश्वस्तों की माने तो अल्पसंख्यक वर्ग का जयपुर जिलाध्यक्ष पर खास फोकस है, राजधानी होने के चलते एक विधायक सहित कांग्रेस से जुड़े कई अल्पसंख्यक नेता जिलाध्यक्ष के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। हालांकि जयपुर शहर में अल्पसंख्यक वर्ग से शाह इकरामुद्दीन और सलीम कागजी अध्यक्ष रह चुके हैं।
निवर्तमान कार्यकारिणी में तीन जिलों में थे अल्पसंख्यक अध्यक्ष
वहीं पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट के कार्यकाल के दौरान नागौर, जोधपुर और जैसलमेर में केवल की तीन ही अल्पसंख्यक नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाया गया था, इससे पूर्व डॉ. सीपी जोशी, डॉ. चंद्रभान और बीडी कल्ला के कार्यकाल में आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में अल्पसंख्यक नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाया गया था।