प्रदेश की दो बड़ी एजेंसियां एक महीने से भी ज्यादा समय से इस केस पर काम कर रही थी। विधायकों की खरीद फरोख्त के सबूत मिलने के बाद एसओजी और एसीबी में एफआईआर एवं प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। मुख्य सचेतक महेश जोशी की ओर से दी गई इन दोनो शिकायतों पर कार्रवाई भी शुरु कर दी गई थी। एसओजी ने करीब एक महीने पहले संजय मोलानी और अशोक सिंह को भी अरेसट किया था। दो बार पूछताछ की लंबी कार्रवाई के बाद उनको जेल भेज दिया गया था। उसके बाद आॅडियो टेप कांड का मामला सामने आया। इनमें दो से तीन विधायकों और मंत्रियों के नाम उछले। उनसे बातचीत और पूछताछ के लिए एसओजी ने दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में कई दिनों तक दौड़ लगाई। लेकिन पूछताछ तो दूर एसओजी विधायकों से संपर्क तक नहीं कर सकी। ऐसे में मामला कोर्ट पहुंचा। इस केस में पकडे गए कथित मुख्य आरोपी संजय जैन से भी एसओजी ने दो बाद पूछताछ की। अंत में कोर्ट की दखल के बाद इन तमाम केसेज से एसओजी को एफआर लगानी पडी। अब संजय जैन का मामला एसीबी के पास है।
अब एसीबी का ही आरोपी रह गया है संजय
अब संजय जैन एसीबी का आरोपी रह गया है और उसे रिमांड पर एसीबी ने ले लिया है। एसीबी ने इस केस में पहले ही दो विधायकों को नोटिस भेज दिया है। लेकिन नोटिस की मियाद दो बार पूरी होने के बाद भी विधायकों से किसी तरह का संपर्क नहीं हो सका है। अब सरकार और गृह विभाग के अन्य अफसरों की पूरी आस एसओजी ही है। एसीबी अफसरों का कहना है संजय जैन से हर कानूनी तरीके से पूछताछ की जा रही है ताकि इस केस को आगे बढाया जा सके। उधर एसओजी के हाथ से सब कुछ फिसलने के बाद सरकार की किरकिरी हो रही है। बीजेपी नेताओं ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। गौरतलब है कि भरत, अशोक सिंह और संजय तीनों ही बड़े कारोबारी हैं और तीनों के ही कहीं न कहीं भाजपा नेताओं से अच्छे संपर्क भी हैं।