करीब दस मिटन हंगामे में मंत्रियों-विधायकों ने कहा कि पायलट को सजा नहीं, तो ईनाम भी नहीं मिलना चाहिए। मंत्रियों व विधायकों को शांति से अपनी बात रखने के लिए रणदीप सुरजेवाला, अजय माकन व अविनाश पांडे को दखल देना पड़ा। उन्होंने विधायकों से कहा कि पायलट की बिना शर्त वापसी हुई है, अब दरवाजे पर आए हैं, तो दुत्कार नहीं सकते। यदि हालात यही रहते हैं, तो हम दिल्ली तक आपकी भावनाएं पहुंचाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी देश में षडय़ंत्र हो रहे हैं, राज्य सरकारें गिराई जा रही हैं। अभी कांग्रेस, देश और लोकतंत्र को बचाना प्राथकमिता है। हमें एक साथ रहना है, सदन में व्यक्तिगत मामलों में नहीं उलझना है, जिससे विपक्ष को कोई मौका मिले।
सूत्रों के अनुसार परसादी लाल मीणा, अशोक चांदना, शाले मोहम्मद सहित अन्य मंत्री तथा संयम लोढ़ा, मदन प्रजापत, राजेंद्र पारीक, राजेंद्र गुढ़ा, हाकिल अली सहित अन्य विधायक बैठकों ने शुरू होते ही कहा कि पायलट ने 30 से अधिक विधायकों के साथ होने के दावे के साथ सरकार को अल्पमत में बताया था। पायलट ने सत्ता और संगठन दोनों का नुकसान किया है।
उन्होंने कहा कि हम सभी विधायक साथ है, तो पायलट को वापसी की जरूरत ही नहीं थी। वे अब पांच दिन और पार्टी से दूर नहीं रह सकते थे, वे मजबूरी में लौट रहे थे, तो उन्हें पार्टी में क्यों लिया गया। सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री के जैसलमेर पहुंचने से पहले ही मंगलवार को कुछ वरिष्ठ विधायकों ने सुरजेवाला, माकन एवं पांडे के सामने इस संबंध में अपनी भावनाएं रख दी थीं। इसके बाद जब मुख्यमंत्री होटल पहुंचे, तो वरिष्ठ विधायकों ने उनके समक्ष भी अपनी बातें दोहराई।
– मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रूठों को मनाने में सफल नहीं हो पाए हैं। तभी तो जैसलमेर में अपने गुट के विधायकों की ही बैठक कर पाए।
राजेंद्र राठौर, उप नेता प्रतिपक्ष