जयपुर

पानी भी बचेगा, बिजली भी बनेगी : जानिए खास तकनीक के बारे में, बीसलपुर बांध पर हुई लागु तो होगा दोहरा फायदा

एमएनआईटी के सह-आचार्य डॉ. रोहित भाकर ने बताया कि फ्लोटिंग सोलर प्लांट एक ऐसी तकनीक हैं, जो एक ही स्थान पर सौर पैनलो का एक समूह है। जो की पानी की सतह पर तैरता है। आमतौर पर 1 मेगावाट का फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट प्रति माह लगभग 25 लाख लीटर पानी बचाता है। यह बचत तापमान, हवा की गति, सतह क्षेत्र और सौर विकिरण जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है।

जयपुरAug 06, 2022 / 06:16 pm

abdul bari

पानी भी बचेगा, बिजली भी बनेगी : जानिए खास तकनीक के बारे में, बीसलपुर बांध पर हुई लागु तो होगा दोहरा फायदा

शैलेन्द्र शर्मा/जयपुर। राज्य के मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनआईटी) ने अपने एक शोध के आधार पर दावा किया हैं कि उनकी सुझाई तकनीक को अमल में लेने पर बीसलपुर बांध में ना सिर्फ पानी बचेगा बल्कि बिजली भी बनेगी। अभी बांध से लगभग उतनी ही मात्रा में पानी वाष्पित हो रहा है जितना पीने के उद्देश्य से आपूर्ति की गई थी। बांध प्रबंधन अभी तक इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने में असमर्थ रहा है। ऐसे में एमएनआईटी का यह सुझाव एक ठोस और कारगार कदम साबित हो सकता है।

आम के आम गुठली के दाम वाली तकनीक
एमएनआईटी के सह-आचार्य डॉ. रोहित भाकर ने बताया कि फ्लोटिंग सोलर प्लांट एक ऐसी तकनीक हैं, जो एक ही स्थान पर सौर पैनलो का एक समूह है। जो की पानी की सतह पर तैरता है। आमतौर पर 1 मेगावाट का फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट प्रति माह लगभग 25 लाख लीटर पानी बचाता है। यह बचत तापमान, हवा की गति, सतह क्षेत्र और सौर विकिरण जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है। बीसलपुर बांध पर फ्लोटिंग सोलर प्लांट की तकनीक ना सिर्फ वाष्पीकरण की समस्या का समाधान करेगी बल्कि ग्रिड को अपनी बिजली देकर राजस्व भी उत्पन्न करेगी।
इस तरह से काम करेगी तकनीक
बांध में पानी का औसत क्षेत्रफल (79 वर्ग किमी) और बांध से पानी की आपूर्ति के आंकड़ों को देखते हुए जयपुर जैसे शहर के पानी की मांग को पूरा करने के लिए बांध को इस तकनीक से 10% कवरेज करने पर एक महीने, 25% कवरेज में दो महीने, 50% कवरेज में तीन महीने, 75% कवरेज में पांच महीने और 100% कवरेज में छः महीने तक पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा।
1 मेगावाट का प्लांट, लागत 4.23 करोड़
सह-आचार्य डॉ. भाकर ने बताया कि 1 मेगावाट के फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट के लिए लगभग 6 एकड़ जल सतह क्षेत्र की आवश्यकता होती है और इसमें 4.23 करोड़ रुपए की लागत आ सकती है। इन प्लांट की आयु 25 साल तक की होती है। 1 मेगावाट का प्लांट साल में 18 लाख यूनिट तक बिजली उत्पादित कर सकता है। यह प्लांट विभिन्न कवरेज में लगभग 58 करोड़, 61 लाख से 586 करोड़ 14 लाख यूनिट तक बिजली उत्पन्न कर सकेगा। यह बिजली उत्पादन 10%, 25%, 50%, 75% और 100% कवरेज पर जयपुर शहर की लगभग 7%, 18%, 37%, 56% और 74% वार्षिक बिजली की मांगों को पूरा करने में सक्षम है। डॉ. भाकर ने कहा कि अगर यह तकनीक बीसलपुर बांध पर लगती हैं तो बिजली कटौती की समस्या से जूझ रहे जयपुर शहर को कुछ हद तक राहत मिल सकती है। वर्तमान टैरिफ को देखते हुए निवेश लागत 8-10 वर्षों में वसूल की जा सकती है।
पानी भी बचेगा, बिजली भी बनेगी : जानिए खास तकनीक के बारे में, बीसलपुर बांध पर हुई लागु तो होगा दोहरा फायदा
ना सिर्फ विदेश बल्कि हमारे कई राज्य अपना चुके
इस तकनीक को कई देश जैसे चीन, जापान, अमेरिका आदि अपना चुके हैं। हमारे देश में केरला के कोच्चि एयरपोर्ट पर 450kWp के अलावा हाल ही में आंध्र प्रदेश में एनटीपीसी ने 25 मेगावाट MW का फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट सिम्हाद्रि रिजर्वायर में चालू किया। ऐसा ही एक 25.3 मेगावाट MW प्लांट इस साल मार्च में तमिलनाडु में स्थापित किया है। देश का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्लांट (100 मेगावाट MW ) तेलंगाना के रामागुंडम में बनाया गया है। मध्यप्रदेश में ओंकारेश्वर बांध (600 मेगावाट), उत्तर प्रदेश में रिहंद बांध (50 मेगावाट), केरल में कायमकुलम परियोजना (92 मेगावाट) जैसे कई और नए संयंत्र अगले 2-3 वर्षों में काम करना शुरू कर देंगे।
1999 में बना था बीसलपुर
सिंचाई और पेयजल की कमी की समस्या को दूर करने के लिए 1999 में बनास नदी पर बीसलपुर बांध बनाया गया, जो राज्य का सबसे बड़ा बांध है। यह 574 मीटर लंबा और 39.5 मीटर ऊंचा हैं, जो 212.3 वर्ग किमी में फैला है। बांध की कुल भंडारण क्षमता 38.7 टीएमसी और लाइव स्टोरेज क्षमता 33.15 टीएमसी है। बांध 16.2 टीएमसी (जयपुर के लिए 11.1 टीएमसी और अजमेर के लिए 5.1 टीएमसी) पीने के उद्देश्य से जयपुर, अजमेर और मार्ग में आने वाले गांवों को पानी की आपूर्ति करता है। इसके अलावा, सिंचाई के लिए, यह दाहिनी मुख्य नहर (51 किमी) और बाईं मुख्य नहर (18.6 किमी) के माध्यम से टोडारायसिंह, देवली, टोंक और उनियारा तहसीलों के 85000 हैक्टेयर कमांड क्षेत्रो में 8 टीएमसी पानी की आपूर्ति करता है। वर्तमान में बीसलपुर बांध जयपुर की जीवन रेखा बन चुका है। शहर को अपने जलापूर्ति के लिए बांध से प्रतिदिन लगभग 450-500 एमएलडी पानी मिलता है (प्रति व्यक्ति प्रति दिन लगभग 133 लीटर)। बांध में पानी के स्तर में उतार-चढ़ाव से शहर लगातार पानी की किल्लत से जूझ रहा है। यह उतार-चढ़ाव मुख्य रूप से जलाशय के जलग्रहण क्षेत्र में कम वर्षा, वाष्पीकरण और पानी के रिसाव के कारण हो रहा है।

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