प्रदेश में छह महीने पहले ही मॉब लिचिंग को लेकर सरकार ने कानून बनाया है। कानून के अनुसार राजस्थान में अब उन्मादी हिंसा की घटना में पीड़ित की मौत पर दोषियों को आजीवन कारावास और पांच लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा भुगतनी होगी। पीड़ित के गंभीर रूप से घायल होने पर 10 साल तक की सजा और 50 हजार से 3 लाख रुपये तक का जुर्माना दोषियों को भुगतना होगा। उन्मादी हिंसा में किसी भी रूप से सहायता करने वाले को भी वही सजा मिलेगी जो, हिंसा करने वाले को मिलेगी। राज्य में बढ़ती उन्मादी हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने पिछले साल अगस्त में विधानसभा में ‘राजस्थान लिंचिंग संरक्षण विधेयक-2019’ में पेश किया, जो पारित हो गया।
मॉब लिचिंग के लिए बदनाम रहा है अलवर जिला
अलवर जिला मॉब चिलिंग के लिए बदनाम रहा है। जिले में सबसे ज्यादा लोगों की हत्या लिचिंग के दौरान हुई है। जिले में पहलू खां मामले में सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों को डांट भी पड़ चुकी है। वहीं पहलू खां के अलावा भी दो अन्य मामले मॉब लिचिंग के पिछले साल सामने आ चुके हैं। एक मामले में तो लोगों ने एक दलित युवक को इतना पीटा था कि उसकी मौत हो गई थी। एक अन्य मामले में भी कथित गौ रक्षकों ने युवक को पीटा था जिससे उसने भी दम तोड़ दिया था। हांलाकि इन केसेज के बाद पुलिस ने मामले दर्ज कर कार्रवाई भी की थी।