हुक्का बार वाले विधेयक पर तो ज्यादा विरोध नहीं है। राज्य सरकार इन तीनों विधेयकों के माध्यम से केन्द्रीय कानून में परिवर्तन कर रही है, जो निर्धारित प्रक्रिया के तहत होता है। इसी कारण ये विधेयक राष्ट्रपति के पास जाएंगे, लेकिन इन विधेयकों पर पार्टी की ओर से राष्ट्रपति के पास विरोध दर्ज नहीं कराया जाएगा।
-गुलाब चंद कटारिया, नेता प्रतिपक्ष
-गुलाब चंद कटारिया, नेता प्रतिपक्ष
विधानसभा में चर्चा के दौरान मॉब लिंचिंग व ऑनर किलिंग से जुड़े विधेयकों का तथ्यों के आधार पर विरोध किया। राष्ट्रपति को विरोध दर्ज कराने की परम्परा नहीं रही है, लेकिन ये विधेयक केन्द्रीय कानून के विपरीत होने के कारण इनको अनुमति मिलना कठिन प्रतीत होता है।
-राजेन्द्र राठौड़, प्रतिपक्ष के उपनेता
-राजेन्द्र राठौड़, प्रतिपक्ष के उपनेता
इन विधेयकों को राज्यपाल की मंजूरी
राज्यपाल सिंह ने विश्वविद्यालयों की विधियां (संशोधन) विधेयक 2019, राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय की विधियां (संशोधन) विधेयक2019, राजस्थान विश्वविद्यालयों के अध्यापक तथा अधिकारी (नियुक्ति) के लिए चयन (संशोधन) विधेयक2019 और राजस्थान बीज तथा पौध (निरसन) विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी है।
राज्यपाल सिंह ने विश्वविद्यालयों की विधियां (संशोधन) विधेयक 2019, राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय की विधियां (संशोधन) विधेयक2019, राजस्थान विश्वविद्यालयों के अध्यापक तथा अधिकारी (नियुक्ति) के लिए चयन (संशोधन) विधेयक2019 और राजस्थान बीज तथा पौध (निरसन) विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी है।
राजस्थान देश में दूसरा राज्य
लिंचिंग से संरक्षण विधेयक विधानसभा से पारित करने वाला राजस्थान दूसरा राज्य है। इससे पहले मणिपुर में भी विधेयक पारित हो चुका है। दोनों ही राज्यों में यह कानून अभी लागू नहीं हुआ है। कानून लागू होने पर यह प्रावधान प्रभावी होंगे। हालांकि कानून राष्ट्रपति की सहमति के बाद लागू होगा। इसके लागू होने पर भारतीय दण्ड संहिता की धाराएं भी लगाई जाएंगी।
विधेयक में यह प्रावधान
-दो या दो से अधिक का समूह मॉब लिचिंग के दायरे में।
-लिंचिंग रोकने के लिए राज्य समन्वयक नियुक्त होगा, जो आइजी से कम रेंज का नहीं होगा।
-जिला पुलिस अधीक्षक घटना रोकने के लिए जिला समन्वयक होंगे
-लिंचिंग की आशंका होने पर जिला मजिस्ट्रेट को उसे रोकने के लिए कदम उठाने का अधिकार
-घटना रोकने की जिम्मेदारी स्थानीय थानाधिकारी की होगी और पुलिसर्किर्मयों को भीड़ को तितर-बितर करना होगा
-जांच अधिकारी इंस्पेक्टर से नीचे का नहीं होगा
-दो या दो से अधिक का समूह मॉब लिचिंग के दायरे में।
-लिंचिंग रोकने के लिए राज्य समन्वयक नियुक्त होगा, जो आइजी से कम रेंज का नहीं होगा।
-जिला पुलिस अधीक्षक घटना रोकने के लिए जिला समन्वयक होंगे
-लिंचिंग की आशंका होने पर जिला मजिस्ट्रेट को उसे रोकने के लिए कदम उठाने का अधिकार
-घटना रोकने की जिम्मेदारी स्थानीय थानाधिकारी की होगी और पुलिसर्किर्मयों को भीड़ को तितर-बितर करना होगा
-जांच अधिकारी इंस्पेक्टर से नीचे का नहीं होगा
सजा के लिए यह प्रावधान
-चोट लगने पर सात साल तक सजा और एक लाख रुपए जुर्माना
-गंभीर चोट लगने पर 10 साल तक सजा और 25 हजार से 3 लाख रुपए तक जुर्माना
-मौत होने पर आजीवन कारावास। न्यूनतम एक लाख जुर्माना, जो पांच लाख रुपए तक हो सकेगा।
-घटना में साथ देने वाले को 5 साल तक सजा और एक लाख रुपए तक जुर्माना।
-गवाह को धमकाने या उस पर दवाब बनाने वाले पर 5 साल तक सजा व एक लाख रुपए तक जुर्मानां
-भड़काउ सामग्री के प्रकाशन व वितरण पर एक से 3 साल तक सजा व 50 हजार रुपए तक जुर्माना
यह भी हैं प्रावधान
-डीजे स्तर के न्यायालय में ट्रायल होगी
-आरोप तय होने के 180 दिन में गवाही व पीडि़त के बयान होंगे
-दिन प्रतिदिन मामले की सुनवाई होगी
-पीडि़त का इलाज मुफ्त होगा
-पीडि़त प्रतिकर योजना के तहत मुआवजा दिया जाएगा
-डीजे स्तर के न्यायालय में ट्रायल होगी
-आरोप तय होने के 180 दिन में गवाही व पीडि़त के बयान होंगे
-दिन प्रतिदिन मामले की सुनवाई होगी
-पीडि़त का इलाज मुफ्त होगा
-पीडि़त प्रतिकर योजना के तहत मुआवजा दिया जाएगा
मॉब लिंचिंग के 86 प्रतिशत मामले
राजस्थान में संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने सदन में कहा था, देश में 2014 के बाद मॉब लिंचिंग के सौ से ज्यादा मामले सामने आए हैं, उनमें से 86 फीसदी राजस्थान के हैं। सबसे शांत माने जाने वाले प्रदेश की पहचान देश में ‘मॉब लिंचिंग स्टेट’ के रूप में होने लगी थी। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए ही प्रभावी एवं कठोर कानून बनाया जा रहा है। आइपीसी में हर अपराध की सजा का प्रावधान है, लेकिन वह सामान्य कानून है।
राजस्थान में संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने सदन में कहा था, देश में 2014 के बाद मॉब लिंचिंग के सौ से ज्यादा मामले सामने आए हैं, उनमें से 86 फीसदी राजस्थान के हैं। सबसे शांत माने जाने वाले प्रदेश की पहचान देश में ‘मॉब लिंचिंग स्टेट’ के रूप में होने लगी थी। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए ही प्रभावी एवं कठोर कानून बनाया जा रहा है। आइपीसी में हर अपराध की सजा का प्रावधान है, लेकिन वह सामान्य कानून है।