जयपुर

Anti Mob lynching Bill 2019 : राजस्थान में पारित हुआ मॉब लिंचिंग विधेयक, राष्ट्रपति लगाएंगे अंतिम मुहर

Anti Mob lynching Bill 2019 Passed : Rajasthan Vidhan Sabha से बड़ी खबर है। विपक्ष के विरोध के बीच सोमवार को लिंचिंग से संरक्षण विधेयक 2019 ( Mob Lynching Protection Bill 2019 ) पारित कर दिया गया। अब विधेयक राष्ट्रपति ( President of India ) के पास मंजूरी के लिए जाएगा।

जयपुरAug 05, 2019 / 06:28 pm

rohit sharma

जयपुर। Anti Mob lynching Bill 2019 : राजस्थान विधानसभा ( rajasthan vidhan sabha ) से बड़ी खबर है। विपक्ष के विरोध के बीच सोमवार को लिंचिंग से संरक्षण विधेयक 2019 ( Mob Lynching Protection Bill 2019 ) पारित कर दिया गया। अब विधेयक राष्ट्रपति ( President of India ) के पास मंजूरी के लिए जाएगा।
 

राजस्थान में 100 से ज्यादा केस आए सामने

संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ( Shanti Dhariwal ) बोले राजस्थान में जब मोब लिंचिंग की घटनाएं ( Mob Lynching Cases ) हुई राजस्थान के हर नागरिक का शर्म से सिर झुक गया था। कुल मिलाकर 100 से ज्यादा लिंचिंग के केस हैं, जिसमें 2014 के बाद राजस्थान में 60% से ज्यादा केस हुए हैं। बिहार, आंध्र प्रदेश, मणिपुर सहित सभी जगहों पर मॉब लिंचिंग की घटनाएं हो रही है, इसीलिए यह विधेयक लाया जा रहा है। जहां तक आईपीसी ( IPC ) और सीआरपीसी ( CRPC ) की धाराओं की बात है तो इनमें पनिशमेंट बहुत सामान्य है।
 

तीन बार पारित करवाना पड़ा बिल

विपक्ष के विरोध के बीच विधानसभाध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ( CP Joshi ) ने बिल के पक्ष और विपक्ष के लिए सदस्यों की सहमति जानी तो विपक्ष ने ना कहने वाले लोगों की संख्या ज्यादा बताकर हंगामा किया। इस पर जोशी ने दूसरी बार भी सहमति जानने के लिए हाथ उंचे करवाए, इस पर भी विपक्ष राजी नहीं हुआ तो जोशी ने तीसरी बार हां और ना पक्ष के सदस्यों को खड़ा करवाकर सहमति जानी। इसके बाद बिल को पारित किया गया।
 

ये है मॉब लिंचिंग कानून के प्रावधान ( Mob lynching Law Provision )

— पीड़ित की मौत होने पर मॉब लिंचिंग करने वाले लोगों को आजीवन करावास और पांच लाख के अर्थदंड
— लिंचिंग में सहायता करने वाले को भी वही सजा मिलेगी जो खुद लिचिंग करने पर है
— गैरजमानती और संज्ञेय अपराध
— पीडि़त के गंभीर रूप से घायल होने पर 10 साल तक की कैद और 50 हजार से 3 लाख तक का जुर्माना
— पीड़ित को घायल करने वालों को सात साल तक की सजा, एक लाख रुपए तक का जुर्माना
— मामलों की जांच इंस्पेक्टर स्तर या उससे ऊपर का पुलिस अफसर ही करेगा
— गिरफ्तारी से बचाने या अन्य सहायता करने पर भी 5 साल तक की सजा
— गवाहों को धमकाने वालों को 5 साल तक जेल और एक लाख तक का जुर्माना
— घटना के वीडियो, फोटो किसी भी रूप से प्रकाशित प्रसारित करने पर एक से तीन साल की सजा और 50 हजार का जुर्माना
— गवाहों को दो से ज्यादा तारीखों पर अदालत जाने की बाध्यता से छूट मिलेगी
— गवाहों की पहचान गुप्त रखाी जाएगी
— पीड़ित व्यक्ति का विस्थापन होने पर सरकार उसका पुनर्वास होगा
— 50 से ज्यादा व्यक्तियों के विस्थापित होने पर राहत शिविर लगाए जाएंगे
— आईजी रैंक का अफसर होगा राज्य समन्वयक
— हर एसपी लिचिंग रोकने के लिए जिला समन्वयक होगा
— जिला मजिस्ट्रेट लिंचिंग की आशंका पर आयोजन को रोक सकेंगे।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.