गौरतलब है कि जलदाय विभाग ने बीते साल 30 करोड़ रुपए की लागत से प्रदेश के बीस जिलों में वाटर टेस्टिंग लेबोरेट्री वैन तैनात करने के टेंडर जारी किए थे। निजी फर्म को विभाग द्वारा पानी के प्रति सैंपल जांच पेटे 748 रुपए का भुगतान करना तय किया गया। बीते मार्च में निजी फर्म को चिह्नित बीस जिलों के ग्रामीण इलाकों में पेयजल गुणवत्ता जांच का काम शुरू करना था लेकिन निजी फर्म की मनमानी के चलते मोबाइल वैन तैयार नहीं होने से काम शुरू नहीं हो सका।
बीते मंगलवार को निजी फर्म संचालकों और वाटर टेस्टिंग लेबोरेट्री अधिकारियों के बीच हुई बैठक में अगले सप्ताह से परीक्षण के तौर पर दस जिलों में मोबाइल वाटर टेस्टिंग लेबोरेट्री वैन से पानी सैंपलों की जांच का काम शुरू करने का निर्णय हुआ है। वहीं अगले महीने के मध्य तक पहले चरण में बचे शेष दस जिलों में भी पेयजल गुणवत्ता जांच का काम मोबाइल लैब से शुरू हो जाएगा। विभाग के अफसरों की मानें तो अभी परीक्षण के तौर पर चल प्रयोगशालाओं को फील्ड में भेजा जा रहा है। वहीं कार्यों की समीक्षा के बाद मुख्यमंत्री द्वारा सभी बीस चल प्रयोगशालाओं को हरी झंडी दिखाने की कार्य योजना तैयार हो रही है।