दरअसल, पार्टी की अंदरूनी राजनीति के साथ साल के आखिर में राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के विधानसभा और अगले साल मई में प्रस्तावित आम चुनाव से पहले हो रही बैठक पर देश की नजरें टिकी हुई है। इस बैठक में भाजपा के सामने तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान सत्ता विरोध लहर को थामना तो चुनौती होगी ही, साथ ही देश में एससी-एसटी संशोधन विधेयक के बाद सवर्णों में पनप रहे असंतोष, पेट्रोल डीजल के दामों में लगातार हो रही बढ़ोतरी से आम आदमी की नाराजगी, नोटबंदी पर आरबीआई की रिपोर्ट और राफाल डील के मुद्दे पर आक्रामक हो रहे विपक्ष से निपटने की रणनीति भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं होगी।
पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इसके अलावा लगभग साल भर बाद होने वाली बैठक पर घर में उठ सकने वाले सवाल को लेकर भी आशंकित नजर आ रहा है। कायदे से राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हर तीन महीने बाद होनी चाहिए, लेकिन इस बार बैठक साल भर बाद हो रही है। हालांकि बैठक 18 व 19 अगस्त को होनी थी, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के कारण इसे टालना पड़ा था।
बैठक में वैसे तो विधानसभा चुनाव की तैयारी पर चर्चा होनी है, लेकिन राजस्थान का चुनाव पार्टी के लिए खासा अहम है। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष व सीएम से बैठक में सत्ता विरोधी लहर को रोकने की तैयारी के बारे में ब्यौरे के साथ बुलाया गया है। पार्टी चाहती है कि चुनाव में सत्ता विरोधी लहर कम दिखे। राज्य में हुए उपचुनावों में भाजपा की करारी हार ने भी केंद्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल रखा है तो प्रदेशाध्यक्ष के मुद्दे पर हुई तकरार के बाद राजपूत समाज की नाराजगी भी चुनावों को प्रभावित कर सकती है।
पार्टी चाहती है कि राज्य में पांच-पांच साल बाद सत्ता बदलने की परम्परा टूटे, लेकिन इससे पार पाना पार्टी के लिए खासा मुश्किल नजर आ रहा है। सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में राजस्थान का मुद्दा छाया रहने वाला है। मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के मुकाबले राजस्थान में ही पार्टी को ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा है। ऐसे में बैठक के दौरान राजस्थान पर एक विशेष सत्र भी हो सकता है।
भाजपा ने ‘मिशन राजस्थान’ के तहत ए, बी और सी ग्रेड की सीटों की रणनीति तैयार की है। ए ग्रेड के तहत उन 67 सीटों को चिह्नित किया है जिस पर पार्टी दो या उससे अधिक बार चुनाव जीतती रही है। बी ग्रेड की 65 सीटें चिह्नित की गई है। इन सीटों को ए ग्रेड में लाने की कोशिश की जा रही है। बाकी सीटों को सी ग्रेड में रखा गया है। इसके आधार पर ही बूथ लेवल से ही रणनीति बनाई जा रही है। लेकिन पार्टी की दिक्कत है कि सत्ता विरोधी लहर के साथ क्षुब्ध कार्यकर्ताओं में अभी तक जोश नहीं दिख रहा।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कई राष्ट्रीय मुद्दों पर भी पार्टी रणनीति तय करेगी। इसमें सवर्णों की नाराजगी का मुद्दा अहम है। साथ ही राफेल डील के मामले में कांग्रेस की आक्रामकता का जवाब देने के लिए भी पार्टी को मजबूत रणनीति पर विचार करना है। खास तौर पर राफेल की कीमतों में अंतर पर उठाए जा रहे सवाल की काट फिलहाल पार्टी को मिलती नहीं दिख रही और कांग्रेस लगातार इस पर ही मोदी सरकार को घेरती जा रही है। सवर्णों के मुद्दे पर तो पार्टी को अंदरूनी तौर पर भी घिरने का अंदेशा सता रहा है। देखना होगा कि पार्टी इन सभी मुद्दों से कैसे निपटती है और क्या रणनीति सामने आती है।
भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक HIGHLIGHTS
भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 8-9 सितम्बर को
दिल्ली में हो रही बैठक पर चुनावों की छाया
एससी-एसटी एक्ट पर पनप रही नाराजगी ने बढ़ाई चिंता
राफाल पर हमलावर विपक्ष से निपटना भी बड़ी चुनौती