पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना
राज्य सरकार चाहती है कि प्रदेश के 13 जिलों की पानी की जरूरतों को पूरा करने को बन रही पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिल जाए, इससे केन्द्र से 90प्रतिशत राशि मिल सकेगी। पार्वती, कालीसिंध सहित चम्बल की सहायक नदियों में प्रतिवर्ष करीब 5060 मिलियन घन मीटर पानी आता है जो समुद्र में चला जाता है। परियोजना से पार्वती, कालीसिंध, चंबल का अतिरिक्त पानी बनास, गम्भीर नदी, पार्वती बेसिन में लाना है। इससे 13 जिलों की पेयजल आपूर्ति व करीब 2 लाख हेक्टेयर नए व 2.3 लाख हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र की सिंचाई में मदद मिलेगी।
राज्य सरकार चाहती है कि प्रदेश के 13 जिलों की पानी की जरूरतों को पूरा करने को बन रही पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिल जाए, इससे केन्द्र से 90प्रतिशत राशि मिल सकेगी। पार्वती, कालीसिंध सहित चम्बल की सहायक नदियों में प्रतिवर्ष करीब 5060 मिलियन घन मीटर पानी आता है जो समुद्र में चला जाता है। परियोजना से पार्वती, कालीसिंध, चंबल का अतिरिक्त पानी बनास, गम्भीर नदी, पार्वती बेसिन में लाना है। इससे 13 जिलों की पेयजल आपूर्ति व करीब 2 लाख हेक्टेयर नए व 2.3 लाख हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र की सिंचाई में मदद मिलेगी।
राज्य को फायदा: परियोजना पर 37 हजार करोड़ खर्च का अनुमान है। राष्ट्रीय परियोजना घोषित होने पर 90 प्रतिशत राशि केन्द्र से मिलने पर बजट की कमी नहीं आएगी।
स्थिति : विस चुनाव से पहले पीएम नरेन्द्र मोदी ने इसे केन्द्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने का वादा किया था। प्रस्ताव केन्द्र सरकार के विचाराधीन है।
स्थिति : विस चुनाव से पहले पीएम नरेन्द्र मोदी ने इसे केन्द्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने का वादा किया था। प्रस्ताव केन्द्र सरकार के विचाराधीन है।
डूंगरपुर और रतलाम रेललाइन
डूंगरपुर से रतलाम को रेललाइन से जोडऩे की परियोजना का कार्य सीएम गहलोत के गत कार्यकाल में शुरू हुआ था। राज्य ने केन्द्र को पैसा दे दिया। जमीन अवाप्त हो गई लेकिन केन्द्र इसे व्यावहारिक नहीं मान रही है।
डूंगरपुर से रतलाम को रेललाइन से जोडऩे की परियोजना का कार्य सीएम गहलोत के गत कार्यकाल में शुरू हुआ था। राज्य ने केन्द्र को पैसा दे दिया। जमीन अवाप्त हो गई लेकिन केन्द्र इसे व्यावहारिक नहीं मान रही है।
राज्य को फायदा: आदिवासी इलाके में रेल कनेक्टिविटी होने से विकास के कार्यों में तेजी आ सकेगी।
स्थिति : भाजपा ने चुनाव के दौरान मेवाड़ पर फोकस किया। ऐसे में कार्य आगे बढऩे की उम्मीद है।
सतलज, यमुना से पूरा पानी नहीं
सतलज व यमुना से राज्य को हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल रहा। पंजाब से इन्दिरा गांधी नहर में पानी कम आने का विवाद है। नहरी पानी को लेकर विवाद शीर्ष कोर्ट पहुंचने पर भी प्रदेश को हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल रहा है।
सतलज व यमुना से राज्य को हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल रहा। पंजाब से इन्दिरा गांधी नहर में पानी कम आने का विवाद है। नहरी पानी को लेकर विवाद शीर्ष कोर्ट पहुंचने पर भी प्रदेश को हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल रहा है।
राज्य को फायदा: राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के बीच समझौते की पूरी पालना होने पर पानी की समस्या कम हो सकेगी।
स्थिति : पूरा पानी दिलाने के लिए केन्द्र से दखल का प्रयास किया जा रहा है।
जयपुर—दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग
जयपुर से दिल्ली को जोडऩे वाले मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्ग का कार्य 2009 से चल रहा है। 2011 में कार्य पूरा होना था, लेकिन आज तक पूरा नहीं हुआ है। हरियाणा सीमा में जगह— जगह रोड खराब है। राजस्थान में शाहपुरा व कोटपूतली में सडक़ 4 से 6 लेन नहीं हुई है। चार—पांच जगह पुलों के निर्माण का कार्य अधूरा है। इससे विस्तार का कार्य अधूरा है और टोल टैक्स लागत से काफी अधिक वसूला जा चुका है। हाईकोर्ट तक इस हाइवे को लेकर सीबीआइ जांच के लिए कह चुका, लेकिन न काम पूरा हुआ और न ही जांच कराई गई। टोल वसूली जारी है।
जयपुर से दिल्ली को जोडऩे वाले मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्ग का कार्य 2009 से चल रहा है। 2011 में कार्य पूरा होना था, लेकिन आज तक पूरा नहीं हुआ है। हरियाणा सीमा में जगह— जगह रोड खराब है। राजस्थान में शाहपुरा व कोटपूतली में सडक़ 4 से 6 लेन नहीं हुई है। चार—पांच जगह पुलों के निर्माण का कार्य अधूरा है। इससे विस्तार का कार्य अधूरा है और टोल टैक्स लागत से काफी अधिक वसूला जा चुका है। हाईकोर्ट तक इस हाइवे को लेकर सीबीआइ जांच के लिए कह चुका, लेकिन न काम पूरा हुआ और न ही जांच कराई गई। टोल वसूली जारी है।
राज्य को फायदा: जयपुर से दिल्ली के बीच यातायात सुगम होगा। व्यापारिक दृष्टि से भी फायदा होगा, क्योंकि इसके बीच में औद्योगिक कॉरिडोर भी आता है।
स्थिति : पूरी परियोजना कानूनी अड़चनों में फंसी है। केन्द्र और राज्य सरकार दोनों ही इसका निर्माण पूरा नहीं होने के लिए जिम्मेदार हैं।
स्थिति : पूरी परियोजना कानूनी अड़चनों में फंसी है। केन्द्र और राज्य सरकार दोनों ही इसका निर्माण पूरा नहीं होने के लिए जिम्मेदार हैं।