जयपुर

कोरोना की मार के बीच कैसे बढ़ाएं पूंजी

महामारी से जूझ रहे विश्व में मंदे पड़े उद्योग धंधे, नौकरियों के अवसरों में भी आई कमी

जयपुरMar 24, 2020 / 03:57 pm

Mridula Sharma

कोरोना की मार के बीच कैसे बढ़ाएं पूंजी

पूरा विश्व जानलेवा महामारी से जूझ रहा है, इससे ज्यादातर देशों में गतिविधियां ठप्प पड़ी हैं। इसका सीधा असर उद्योग जगत पर देखा जा रहा है। बाजार अपने निम्न स्तर पर पहुंच गया है, नौकरियों पर संकट मंडरा रहा है। हर तरफ मंदी दस्तक देती दिख रही है। निवेशकों के चेहरे पर निराशा साफ देखी जा सकती है। इस मंदी और अनिश्चित परिस्थितियों के बीच उद्यमी और निवेशकों के सामने अपनी पूंजी को बचाने की बड़ी चुनौती होती है। इस स्थिति का सामना करने के लिए जरूरी है कि उद्यमियों और निवेशकों को पहले से ही इसकी तैयारी कर लेनी चाहिए। उन्हें जानकारी रखनी चाहिए कि बाजार में मंदी के दौर में पूंजी कैसे जुटाई जाए। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ टिप्स के बारे में जिनसे पूंजी को बढ़ाया जा सकता है..
अपनाएं फ्लेक्सिबिलीटी
अपने बिजनेस के साथ फ्लेक्सिबल रहें। एक उद्योगपति के लिए पंूजी सबसे ज्यादा कीमती है, इसके लिए अगर कुछ नियम कायदे बलदने पड़ें तो बदल देने चाहिए। अगर बाजार कमजोर पड़ रहा है और उद्योगपति को अपने प्रोडक्ट का अपेक्षा से कम दाम मिल रहे हैं तो उससे ज्यादा फर्क नहीं पडऩा चाहिए।

पहले से करें तैयारी
मंदी के दौर में फंसने से पहले ही पूरी तैयारी रखें। ऐसे समय में खुद को उबारने के लिए अपने पास पर्याप्त नकदी रखें। लागत में कटौती करें और संचालन को सुव्यवस्थित करने पर ध्यान केन्द्रित करें। अपनी कम्पनी के ऐसे साइड प्रोजेक्ट, नए उद्योग या फिर अंडर परफॉर्मिंग बिजनेस यूनिट को बंद कर दें, जो कम्पनी के उत्पाद व लाभ में कोई योगदान नहीं दे रहे हैं। इससे काम का भार भी कम होगा और कर्मचारी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाएंगे।
खर्चों में करें कटौती
मंदी के दौर में लाभ प्राप्त करने के कई और भी तरीके हैं, इसके लिए आपको अपने खर्चों में कटौती करनी होगी। इसके लिए पूरा ध्यान प्रोडक्ट की डिलिवरी की लागत और मार्जिन पर होना चाहिए। अपने प्रोडक्ट की डिलिवरी की इकाई की लागत को काउंट करें और आवश्यकतानुसार इसका समायोजन करें। जब आप बाजार के खर्चों में कटौती करके अपनी ग्रोथ से समझौता करेंगे तो यह निर्णय भविष्य में आपके बिजनेस के लिए लाभदायक साबित हो सकता है।

अधिक मेहनत करें
मंदी के दौर में बाजार में बने रहने के लिए अधिक मेहनत करनी होगी। मजबूत अर्थव्यवस्था के दौरान उद्यमी के पास अपर हैंड होता है, जबकि निवेशक उसके निर्देश पर चलते हैं, जबकि मंदी के दौर में निवेशक के पास अपर हैंड होता है और उद्यमी को उसके निर्देशों का पालन करना पड़ता है। निवेशकों की बेरूखी से बाजार में पंूजी कम घूमती है और उसका सीधा असर व्यापार पर पड़ता है।

निवेश से मिलेगी संजीवनी
बाजार मंदा होने पर निवेशक ही उद्यमी के लिए संजीवनी का काम करते हैं। इसके लिए अपने निवेशकों का भरोसा जीतने की कोशिश करें।

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