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मानसून की बेरूखी से बढ़ेगा ‘खराबा’, 48 घंटे में नहीं बरसा पानी तो होगी खेती में भारी बर्बादी

locationजयपुरPublished: Jul 24, 2019 02:06:19 pm

Submitted by:

neha soni

मक्का की फसल वेंटीलेटर पर, सोयाबीन की हालात भी गंभीर आठ जुलाई को हुई थी अंतिम वर्षा जलस्त्रोत सूखे, पशुओं के पेयजल की बढ़ी चिंता

जयपुर / डूंगरपुर।


प्रदेश में प्री-मानसून की बारिश के बाद कई जिलों में किसानों ने अच्छी फसल लेने की आस में खेतों में बुवाई कर दी, लेकिन मानसून में देरी के चलते अब वे फसलें सूखने के कगार पर हैं और किसानों में मायूसी छाई हुई है। बारिश नहीं आने से जलस्त्रोंतों में भी पानी आवक नहीं हुई है, जिससे अधिकतर बांधों का जलस्तर काफी कम हो गया है। ऐसे ही हालात डूंगरपुर जिले में बारिश के है। जलस्त्रोतों और फसलों की स्थिति भी चिंताजनक नजर आ रही है।
प्रदेश के दक्षिणांचल में स्थित डूंगरपुर जिले में इस वर्ष प्री-मानसून वर्षा को देख कृषकों के चेहरे खिलखिला गए थे कि इस वर्ष समय पर मानसून आया है और मेहबाबा की अच्छी मेहर होगी। लेकिन, एक पखवाड़े से बारिश की एक बूंद भी नहीं बरसी हैं। ऐेसे में जहां जन-जीवन प्रभावित हो गया है। वहीं, सबसे अधिक फसलों पर संकट के बादल मण्डरा गए हैं। काश्तकारों और कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी 48 घंटों में मेहबाबा की मेहर नहीं हुई, तो खेतों में खराबे का रकबा द्रुत गति से बढ़ेगा और काश्तकारों को काफी नुकसान पहुंचेगा। आधा मानसून सत्र गुजर जाने के बावजूद अब तक वर्षा नहीं होने से जिले के प्रमुख जल स्त्रोत सूखे के सूखे पड़े हैं। ऐसे में खरीफ तो खरीफ रबी की बुवाई के दौरान भी समस्या आ सकती है।
Monsoon delay in rajasthan
 

90 फीसदी से अधिक हो गई है बुवाई
जिले में कृषि विभाग के मुताबिक एक लाख 53 हजार हेक्टेयर में बुवाई के लक्ष्य तय किए थे। इसके तहत आठ जुलाई तक जिले में एक लाख 42 हजार 800 हेक्टेयर में बुवाई हो गई थी। इसके बाद भी कुछ कृषकों ने आसमान में बादलों के छाए हुए होने से बुवाई की है। ऐसे में जिले में 90 फीसदी से अधिक की बुवाई हो गई हैं।
मक्का की बढ़ी मुसीबतें, सोयाबीन पर संकट

कृषि विभाग के अधिकारियों एवं जानकार काश्तकारों का कहना है कि आने वाले 48 घंटों में पानी नहीं बरसा, तो मक्का की फसल को सर्वाधिक नुकसान होगा। मक्का का खराबा बढ़ेगा। वहीं, बारिश हो भी जाती है, तो पैदावर पर असर पड़ेगा। लेकिन, सोयाबीन अभी सात दिन और निकाल सकता है। सात दिन बाद अगर बारिश नहीं होती है, तो फिर सोयाबीन भी खत्म होने की पूरी संभावना है।
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