अच्छी बारिश के संकेत से जून के घाटे की पूर्ति होने की संभावना है। मध्य क्षेत्रों में बारिश की कमी के कारण पिछले महीने औसत से 8 प्रतिशत कम पानी बरसा। जून के अंतिम दिन मानसून के पश्चिमोत्तर राज्यों में प्रवेश करने के बाद शुक्रवार को यह घाटा कम होकर छह फीसदी रह गया। मौसम विभाग का अनुमान है कि मानसून अब बेहतर चरण में प्रवेश कर गया है।
बारिश से किसानों के चेहरे खिले
जुलाई में अच्छे मानसून की संभावना से देशभर में खेती को लेकर उम्मीदें बढ़ी हैं। यह महीना खासकर धान के लिए महत्त्वपूर्ण होता है। जून में सही बारिश नहीं होने से बुवाई पर असर पड़ा है। कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 24 जून तक पिछले साल के मुकाबले देश में 23.81 प्रतिशत खरीफ की बुवाई कम हुई है। धान की बुवाई पिछले साल के मुकाबले 45.62 प्रतिशत कम दर्ज की गई है। वर्ष 2021 में जून के चौथे सप्ताह तक 36.03 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई की जा चुकी थी। इस वर्ष 19.59 लाख टन ही बुवाई की गई है। यानी पिछले साल के मुकाबले 16.44 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई शुरू नहीं हो पाई है।
जून में पश्चिमी हवाओं ने रोकी थी चाल
मानसून ने तय तारीख 1 जून से पहले ही 29 मई को दस्तक दे दी थी, पर शुरुआत में चाल सुस्त बनी रही। 11 जून तक देश में 43% कम बारिश दर्ज की। पाकिस्तान से चलने वाली पश्चिमी हवाओं के कारण जून में कोई विशेष मानसून सिस्टम विकसित नहीं हो पाया।
अत्यधिक बारिश: मेघालय और तमिलनाडु।
अधिक बारिश: अरुणाचल प्रदेश, असम, जम्मू-कश्मीर और सिक्किम।
सामान्य वर्षा: नगालैंड, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, बिहार, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गोवा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पुड्डुचेरी, कर्नाटक, लक्षद्वीप।
सामान्य से कम वर्षा: मणिपुर, मिजोरम, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, ओडिशा, गुजरात, दादर-नागर हवेली और दमन व दीव, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, अंडमान-निकोबार, केरल।
(एक जुलाई तक आंकड़े, मौसम विभाग)