ज्यादा बारिश ने बिगाड़ी राजस्थान विश्वविद्यालय में तैयार हो रही गुलदाउदी सेहत
तैयार हो रहे थे पांच हजार पौधे लेकिन बारिश के कारण अब बचे सिर्फ तीन हजार
After sitting the inquiry, the vice chancellor said that no matter ho
जयपुर
राजस्थान विश्वविद्यालय में तैयार होने वाली गुलदाउदी के लिए अच्छी खबर नहीं हैं। हालांकि इस मानसून में हुई औसत से ज्यादा बारिश प्रदेश के लिए संजीवनी साबित हुई है। लेकिन राजस्थान विश्वविद्यालय में तैयार हो रहे गुलदाउदी के फुलों की सेहत इस बार हुई ज्यादा बारिश ने बिगाड़ दी है। यही कारण है कि राजस्थान विश्वविद्यालय के गार्डन में इन दिनों गुलदाउदी तो तैयार हो रही है लेकिन इस बार गुलदाउदी का इंतजार कर रहे प्रशंसकों के लिए खबर अच्छी नहीं है। मानसून की ज्यादा हुई बारिश ने गुलदाउदी का रंग फीका कर दिया हैं। विश्ववद्यिालय के अनुसार इस बार भी पांच हजार गमलों में गुलदाउदी तैयार की जा रही थी। लेकिन तेज बारिश इन तैयार होते पौधों को रास नहीं आती है। जिससे गुलदाउदी पर बारिश का साइडइफेक्ट हुआ है और गमलों में तैयार हो रहे गुलदाउदी के यह पौधे ज्यादा बारिश से गल कर खराब हो गए हैं। जिस कारण से इस बार केवल तीन हजार गमले ही बचे हैं। हालांकि अब पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार गमलें ही कम नहीं बचे है बल्कि बारिश के कारण हर बार मिलने वाली 60 किस्म की गुलदाउदी में अब सिर्फ 30 किस्म ही बची हैं। वहीं विश्वविद्यालय के उद्यान में लगे कर्मचारी अब जद्दोजहद कर बचे हुए पौधों में गुलदाउदी के अलग अलग रंग तैयार करने में जुटे है जिससे की गुलदाउदी प्रेमी निराश नहीं हो। जानकारों का कहना है कि यह एक शरद ऋतु का पौधा है, ग्रीष्म और वर्षा ऋतु में इसके पौधे का विकास अच्छा नहीं होता है| अच्छे पुष्पन के लिये 8 से 16 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान उपयुक्त रहता है| यानि की जलवायु पौधों की अच्छी वृद्धि और विकास के लिए उचित जलवायु होना आवश्यक है| गुलदाउदी की खेती के पौधों की वृद्धि और पुष्पन उसकी आनुवंशिकता के साथ-साथ वाह्य कारक जैसे वातावरण, शस्य क्रियाएं आदि पर निर्भर करता है| जलवायु के अन्तर्गत प्रकाश, तापमान, आपेक्षिक आर्द्रता एवं कार्बन डाइआक्साइड की सांद्रता पौधे के विकास और पुष्प की गुणवत्ता के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है|लेकिन ज्यादा पानी और तेज बारिश यह सहन नहीं कर पाता हैं। गौरतलब है कि राजस्थान विश्वविद्यालय में 1986 से ही हर साल गुलदाउदी के फूलों की प्रदर्शनी लगाई जाती आ रही है। राजस्थान विश्वविद्यालय गार्डन के ऑफिसर इंचार्ज डॉ.रामवतार शर्मा ने बताया कि गुलदाउदी के चाहने वालों को हर साल इस प्रदर्शनी का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार रहता हैं। क्योंकि एक ही छत के नीचे गुलदाउदी की सभी किस्में मिल जाती हैं। लेकिन इस बार गमले कम होने की वजह से गुलदाउदी के लिए मारामारी हो सकती है। वहीं गुलदाउदी तैयार करने में जुटे बागवान धन्नाराम ने बताया कि वर्ष के अंत में लगने वाली इस प्रदर्शनी के लिए नर्सरी में 3000 पौधों की खेप तैयार हो रही है ज्यादा बारिश का असर गुलदाउदी की किस्मों पर भी असर पडा हैं।
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