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6 साल में 150 से ज्यादा नमूने निकले जानलेवा, विभाग जुर्माने तक सीमित

locationजयपुरPublished: Feb 09, 2019 11:59:57 am

Submitted by:

neha soni

विभाग जुर्माने तक सीमित, इसलिए बेखौफ मिलावटिये

जयपुर. राजधानी में पिछले एक महीने में हुई कार्रवाई में चिकित्सा विभाग ने दाल, घी, पनीर सहित अन्य खाद्य सामग्री में बड़े पैमाने पर मिलावट का खुलासा किया है। लेकिन विभाग की कार्यवाही प्राय: जुर्माने तक सीमित नजर आती है। विभाग इक्का-दुक्का दुकानों को ही स्थाई या अस्थाई तौर पर बंद करा पाया है। ऐसे में मिलावट का खेल थम नहीं पा रहा है। 6 साल में हुई कार्यवाही पर नजर डालें तो सामने आता है कि मिलावटियों में विभाग की कार्यवाही का ज्यादा खौफ नहीं है। विभाग ने 33.77 लाख रुपए जुर्माना वसूला लेकिन मिलावट का कारोबार बन्द नहीं हुआ। इनमें से दर्जनों मामलों में अभी अनुसंधान चल रहा है। उक्त अवधि में जयपुर शहर प्रथम में हुई कार्यवाही में 157 नमूने अनसेफ यानी जानलेवा पाए गए। इनके मामले सीजेएम कोर्ट में चल रहे हैं। मिस ब्रांड और सब स्टैंडर्ड श्रेणी के मामले एडीएम के पास जाते हैं। इनमें जुर्माने की कार्यवाही की गई है।
बच निकलने का यह है रास्ता
विभाग के सूत्रों की मानें तो कई फर्म संचालक अन्य नाम से भी फर्म पंजीकृत कराकर रखते हैं। ऐसे में मिलावट के मामले में फर्म का लाइसेंस रद्द होने की नौबत आए तो अन्य नाम वाली फर्म का पंजीकरण रद्द करा लेते हैं। ऐसे में उसका कारोबार जारी रहता है।
जानलेवा है अनसेफ श्रेणी
खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अनुसार अनसेफ श्रेणी के नमूनों को सबसे घातक माना जाता है। ऐसी खाद्य सामग्री जानलेवा हो सकती है। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की मानें तो पिछले 6 साल में सामने आए इस श्रेणी के मामले न्यायालय में लंबित हैं।
सजा का यह प्रावधान
किसी की सेहत को नुकसान नहीं हुआ हो तो अधिकतम 6 महीने की सजा।
किसी की सेहत को नुकसान हुआ हो तो जुर्माना व एक साल की सजा।
किसी की सेहत को गंभीर नुकसान हुआ हो तो 3 साल की सजा और 10 लाख का जुर्माना।
किसी की मौत हो जाए तो आजीवन कारावास, 10 लाख का जुर्माना और परिवार को क्षतिपूर्ति।
अनसेफ श्रेणी के मामले न्यायालय में लंबित हैं। इनमें सजा का प्रावधान है। जुर्माने की श्रेणी वाले जिन मामलों पर निर्णय आए हैं, उनमें लगातार पैनल्टी लगाई जा रही हैं।
-डॉ. नरोत्तम शर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (जयपुर प्रथम)
पत्रिका व्यू…
पुरानी कहावत है, पहला सुख निरोगी काया…। लेकिन काया निरोगी रहे कैसे? सेहत के सौदागर जो गली-गली पसरे पड़े हैं। तभी तो घटिया-मिलावटी घी, दाल व मोमोज के बाद अब 350 किलो मिलावटी पनीर पकड़ा गया है। चन्द पैसों के लिए इन्हें न मासूमों की परवाह है, न बुजुर्गों की। न महिलाओं की परवाह है, न युवाओं की। वे तो कमाई की भूख में लोगों को धोखा खिलाए जा रहे हैं। सेहत के सौदागरों को समझना चाहिए, लोगों को धोखा देने से बेहतर है दो रोटी कम खाना और ईमानदारी के बल पर चैन से सोना। और… संबंधित विभागों-अफसरों को भी ठान लेना चाहिए, कार्रवाई शुरू की है तो अब इस काले कारोबार को खत्म करके ही दम लेंगे।

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