राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर शनिवार को साल की आखरी लोक अदालत का आयोजन किया गया। जयपुर सहित 35 न्यायिक जिलों में कुल 809 बैंच का गठन किया गया। वहीं राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर में तीन और जोधपुर में दो बैंच गठित की गई। जिसमें 52 हजार 939 मुकदमों का निस्तारण करते हुए 398 करोड़ रुपए का अवार्ड पारित किया गया। साल की आखरी राष्ट्रीय लोक अदालत का उच्च न्यायालय जयपुर में राजस्थान विधिक सेवा समिति अध्यक्ष न्यायाधीश सबीना ने उद्घाटन किया। रालसा के सदस्य सचिव एके जैन ने बताया कि लोक अदालत में दो लाख 69 हजार 748 मामले सूचीबद्ध किए गए थे। जिसमें से 43 हजार 848 मुकदमों के साथ प्री लिटीगेशन के 9 हजार 91 मामलों का निस्तारण किया गया। इस साल राष्ट्रीय लोक अदालत के जरिए दो लाख 947 मामलों का निस्तारण किया गया। जिसमें कुल 1494.39 करोड़ रुपए का अवार्ड दिया गया। सदस्य सचिव जैन के अनुसार लोक अदालत में राजीनामे की भावना से पक्षकारों के बीच सहमति और समझाइस से मामले का निस्तारण होता है।
जयपुर में 93 करोड़ का अवार्ड
जयपुर महानगर के सदस्य सचिव भूपेंद्र कुमार मीना ने बताया कि जयपुर महानगर एवं ताल्लुका मुख्यालयों पर राजीनामा योग्य लंबित 29 हजार 343 एवं प्री-लिटिगेशन के 11 हजार प्रकरण रखे गए। कुल 5749 प्रकरणों का निस्तारण करते हुए 93.70 करोड़ रुपए के अवार्ड पारित किए गए।
जयपुर महानगर के सदस्य सचिव भूपेंद्र कुमार मीना ने बताया कि जयपुर महानगर एवं ताल्लुका मुख्यालयों पर राजीनामा योग्य लंबित 29 हजार 343 एवं प्री-लिटिगेशन के 11 हजार प्रकरण रखे गए। कुल 5749 प्रकरणों का निस्तारण करते हुए 93.70 करोड़ रुपए के अवार्ड पारित किए गए।
पारिवारिक न्यायालय जयपुर जिले की तीन पारिवारिक न्यायालय में कुल 380 प्रकरणों का निस्तारण किया गया। इसी के साथ कुल 18 जोड़ों की समझाइस की गई। इसके बाद आपसी विवाद को भूलकर इन जोड़ों ने एक साथ रहने का फैसला किया। लोक अदालत में इन जोड़ों ने एक दूसरे को माला पहनाई और एक साथ अदालत से रवाना हुए।
चर्चित रहा मामला
पारिवारिक न्यायालय संख्या एक में मामला खासा चर्चित रहा। इसमें नेमीचंद और माया का विवाह 2001 में हुआ और नेमीचंद ने 2015 में तलाक के लिए मामला दायर किया। नेमीचंद ने इस दौरान दूसरा विवाह भी कर लिया। नेमीचंद और माया कि बीच शनिवार को लोक अदालत में राजीनामा हो गया। माया ने नेमीचंद की दूसरी पत्नी होने के बाद भी साथ रहने पर सहमति दे दी।
पारिवारिक न्यायालय संख्या एक में मामला खासा चर्चित रहा। इसमें नेमीचंद और माया का विवाह 2001 में हुआ और नेमीचंद ने 2015 में तलाक के लिए मामला दायर किया। नेमीचंद ने इस दौरान दूसरा विवाह भी कर लिया। नेमीचंद और माया कि बीच शनिवार को लोक अदालत में राजीनामा हो गया। माया ने नेमीचंद की दूसरी पत्नी होने के बाद भी साथ रहने पर सहमति दे दी।