मामला फतेहपुर के ढांढण गांव का है, जहां पुत्र की मृत्यु के बाद सास ने न केवल बहू को उच्च शिक्षा दिलवाई वरन बहू की फिर से शादी करवाकर उसका जीवन भी संवारा है। यहां के सुनील बांगड़वा के परिवार की कमला देवी पत्नी ओमप्रकाश बांगड़वा के बेटे शुभम की शादी 2016 में सुनीता के साथ हुई थी। शादी के बाद वह किर्गिस्तान से एमबीबीएस करने चला गया।
वहां पढ़ाई के दौरान बीमारी के कारण उसकी मृत्यु हो गई। सुनीता शादी के छह माह बाद ही विधवा हो गई। पुत्र शोक से जब कमलादेवी संभली तो उसने सबसे पहले बहू को संभाला। उसे एमए बीएड करवाया। फिर जोधपुर से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाई। प्रयास रंग लाए और सुनीता की व्याख्याता पद पर नियुक्ति हो गई। अभी सुनीता राउमावि नेणासर, सुमेरिया, सरदारशहर में इतिहास की व्याख्याता पद पर नियुक्त है।
तानों से नहीं डिगी…बहू को पुत्री मान कर दिया विवाह
सुनीता को नौकरी मिलने के बाद कमलादेवी ने उसे पुत्री मानते हुए उसके विवाह की बात चलाई। हालांकि उस दौरान कइयों ने ताने भी कसे, लेकिन कमलादेवी अपने निर्णय पर अडिग रही। इसी का परिणाम रहा कि समाज भी कमलादेवी के साथ खड़ा हो गया। शनिवार को कमलादेवी ने अपनी बहू सुनीता का धूमधाम से विवाह सीकर निवासी मुकेश पुत्र हेतराम मावलिया के साथ कर दिया।
शनिवार को ही सुनीता को फतेहपुर से सीकर के लिए विदा किया गया। कमला देवी स्वयं भी सरकारी शिक्षिका हैं। उनका कहना है कि समाज की रूढि़वादिताओं को यदि नहीं तोड़ा गया, तो ये वर्जनाएं व्यक्ति को तोड़ कर रख देंगी। मुकेश अभी भोपाल में केग में ऑडिटर के पद पर कार्यरत हैं। कमला देवी के इस निर्णय और इस कदम की सभी ने प्रशंसा की।