चौथी से लेकर सैंकेंड ईयर की छात्राएं हैं बेटियां
फुलेरा के उद्योग नगर में रीको की दीवार गिरने से चपेट में आई बड़ी बहन संतोष देवी की छह बेटियां हैं। सबसे बड़ी चीनू है जो बीस साल की है। उसने बारहवीं तक पढ़ाई कर मां का हाथ बंटाने के लिए पढ़ाई छोड़ दी थी। उससे छोटी मीनू 18 वर्ष की है और सरकारी महाविद्यालय में सैंकेंड ईयर में अध्ययनरत है। तीसरी पुत्री पायल 12 वी कक्षा में अध्ययनरत है । चौथी पुत्री कोमल दसवीं कक्षा में अध्ययनरत है। 5वी पुत्री निक्की आठवीं कक्षा में और 6टवी पुत्री पूजा 10 वर्ष की है जो कक्षा 4 में पढ़ रही हैं।
फुलेरा के उद्योग नगर में रीको की दीवार गिरने से चपेट में आई बड़ी बहन संतोष देवी की छह बेटियां हैं। सबसे बड़ी चीनू है जो बीस साल की है। उसने बारहवीं तक पढ़ाई कर मां का हाथ बंटाने के लिए पढ़ाई छोड़ दी थी। उससे छोटी मीनू 18 वर्ष की है और सरकारी महाविद्यालय में सैंकेंड ईयर में अध्ययनरत है। तीसरी पुत्री पायल 12 वी कक्षा में अध्ययनरत है । चौथी पुत्री कोमल दसवीं कक्षा में अध्ययनरत है। 5वी पुत्री निक्की आठवीं कक्षा में और 6टवी पुत्री पूजा 10 वर्ष की है जो कक्षा 4 में पढ़ रही हैं।
हमारी परवरिश के लिए मशीन बन गई थी मां, हम हम उनके सपने पूरें करेंगे
बीस साल की चीनू ने बताया कि पिता मजदूरी करते हैं, हाड तोड मेहनत करते हैं। जैसे तैसे दो भैंसे लीं थी, अभी तक तो उनका पूरा हिसाब भी चुकता नहीं हुआ था। मां तो मानों मशीन ही थी। सवेरे चार बजे से रात के बारह बजे तक खपती थी। इतनी मेहनत हम बेटियां मिलकर भी नहीं कर पाते थे जितनी अकेली करती थी। उस दिन भी मां सवेरे उठकर दूध दुह रही थी। अचानक तेज आवाज आई। पता चला तो मैंने दौड़ लगाई, देखा मां गायब है। काफी देर तक मलबा हटाया जाता रहा, बाद में मां हमे छोड़कर चली गई। चीनू ने कहा कि अब मां की जगह हम मेहनत कर रहे हैं। गरीब हैं लेकिन सपने देखने का हमारा भी हक है। पूरा भी करेंगे। मां का आर्शीवाद साथ है।
बीस साल की चीनू ने बताया कि पिता मजदूरी करते हैं, हाड तोड मेहनत करते हैं। जैसे तैसे दो भैंसे लीं थी, अभी तक तो उनका पूरा हिसाब भी चुकता नहीं हुआ था। मां तो मानों मशीन ही थी। सवेरे चार बजे से रात के बारह बजे तक खपती थी। इतनी मेहनत हम बेटियां मिलकर भी नहीं कर पाते थे जितनी अकेली करती थी। उस दिन भी मां सवेरे उठकर दूध दुह रही थी। अचानक तेज आवाज आई। पता चला तो मैंने दौड़ लगाई, देखा मां गायब है। काफी देर तक मलबा हटाया जाता रहा, बाद में मां हमे छोड़कर चली गई। चीनू ने कहा कि अब मां की जगह हम मेहनत कर रहे हैं। गरीब हैं लेकिन सपने देखने का हमारा भी हक है। पूरा भी करेंगे। मां का आर्शीवाद साथ है।
पूजा रोती रहती है... पूछती है कि हमारी मां को ही क्यों छीना ईश्वर ने
18 साल की मीनू कहती है कि मां हमारे साथ है, लगता ही नहीं है कि वे नहीं हैं। दस साल की सबसे छोटी बहन को संभालते हुए मीनू बोली कि पूजा को संभालना मुश्किल है। सबसे छोटी थी तो मां की लाडली थी, हमारे उपर हुकुम चलाती थी जब मां थी। अब मां नहीं है तो रो रोकर उसका बुरा हाल है। हर कुछ देर में बस यही सवाल करती है कि हमारी मां को ही भगवान क्यों ले गए.... बिना मां के कैसे बड़े होंगे। फिर से वह रोने लगती है और बड़ी बहन उसे चुप कराती है। आठवीं और दसवी में पढ़ने वाली निक्की और कोमल कहती हैं कि हम सब मिलकर मेहनत कर रही हैं... मां के सपने जरूर पूरे करेंगी।