प्रदेश के छह जिलों के असाक्षरों को साक्षर बनाने का काम अब साक्षरता और सतत शिक्षा विभाग (Department of Literacy and Continuing Education) एसकेआरयू (SKRU) के साथ मिलकर करेगा। एसकेआरयू के प्रभार क्षेत्र वाले छह जिलों के लगभग एक लाख निरक्षरों को साक्षर बनाने तथा विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षणों के माध्यम से इन्हें आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से बुधवार को विश्वविद्यालय और साक्षरता एवं सतत शिक्षा विभाग के बीच एक एमओयू (MOU) पर हस्ताक्षर किए गए। यह साक्षरता एवं सतत शिक्षा विभाग की ओर से प्रदेश के किसी विश्वविद्यालय के साथ किया गया पहला एमओयू है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.आर पी सिंह ने कहा कि साक्षरता एवं सतत शिक्षा विभाग द्वारा पढऩा लिखना अभियान के माध्यम से प्रदेश के 4 लाख से अधिक असाक्षरों को साक्षर करने का लक्ष्य रखा गया है। विभाग द्वारा इसके तहत गांव.गांव में विशेष कक्षाएं आयोजित की जाएंगी। विश्वविद्यालय का इस अभियान से जुडऩा बड़ी उपलब्धि है। विश्वविद्यालय द्वारा अभियान की भावना के अनुरूप अधिक से अधिक लोगों को लाभ पहुंचाने के प्रयास होंगे।
प्रो.सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा गृह विज्ञान महाविद्यालय तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से विभिन्न प्रशिक्षण आयोजित करवाए जाएंगे। इन कार्यक्रमों की रूपरेखा का निर्धारण शीघ्र ही कर लिया जाएगा। सर्वप्रथम बीकानेर में इसका क्रियान्वयन होगा तथा चरणबद्ध रूप से श्रीगंगागनर, जैसलमेर, हनुमानगढ़, चूरू और झुंझुनूं को भी इससे जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि यह एमओयू विश्वविद्यालय के सामाजिक उत्तरदायित्व के लिहाज से मील का पत्थर साबित होगा। इस दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय की रैंकिंग सुधार के लिए किए जा रहे प्रयासों तथा विश्वविद्यालय में सोलर प्लांट एवं रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर की प्रगति से अवगत करवाया।
प्रो.सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा गृह विज्ञान महाविद्यालय तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से विभिन्न प्रशिक्षण आयोजित करवाए जाएंगे। इन कार्यक्रमों की रूपरेखा का निर्धारण शीघ्र ही कर लिया जाएगा। सर्वप्रथम बीकानेर में इसका क्रियान्वयन होगा तथा चरणबद्ध रूप से श्रीगंगागनर, जैसलमेर, हनुमानगढ़, चूरू और झुंझुनूं को भी इससे जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि यह एमओयू विश्वविद्यालय के सामाजिक उत्तरदायित्व के लिहाज से मील का पत्थर साबित होगा। इस दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय की रैंकिंग सुधार के लिए किए जा रहे प्रयासों तथा विश्वविद्यालय में सोलर प्लांट एवं रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर की प्रगति से अवगत करवाया।
तीन साल के लिए हुआ एमओयू
साक्षरता एवं सतत शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक कैलाश चंद्र कलाकार ने बताया कि विभाग द्वारा पहली बार ऐसा एमओयू किया गया है। इसके तहत चिन्ह्ति असाक्षरों को साक्षर करने के लिए पढ़ाने के लिए अध्ययन सामग्री, स्थान,प्रशिक्षक तथा मॉनिटरिंग की व्यवस्था विभाग करेगा। वहीं इन नवसाक्षरों को व्यावसायिक प्रशिक्षणों के माध्यम से स्वावलम्बी बनाने का काम विश्वविद्यालय करेगा। उन्होंने बताया कि यह एमओयू तीन साल तक प्रभावी रहेगा।
साक्षरता एवं सतत शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक कैलाश चंद्र कलाकार ने बताया कि विभाग द्वारा पहली बार ऐसा एमओयू किया गया है। इसके तहत चिन्ह्ति असाक्षरों को साक्षर करने के लिए पढ़ाने के लिए अध्ययन सामग्री, स्थान,प्रशिक्षक तथा मॉनिटरिंग की व्यवस्था विभाग करेगा। वहीं इन नवसाक्षरों को व्यावसायिक प्रशिक्षणों के माध्यम से स्वावलम्बी बनाने का काम विश्वविद्यालय करेगा। उन्होंने बताया कि यह एमओयू तीन साल तक प्रभावी रहेगा।
साक्षरता एवं सतत शिक्षा विभाग के सहायक परियोजना अधिकारी राजेन्द्र जोशी ने कहा कि विभाग और विश्वविद्यालय के बीच हुआ यह करार किसानों के लिए दोहरा लाभदायक साबित होगा। इस एमओयू से निरक्षर किसानों को अक्षर ज्ञान हो पाएगाए वहीं कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ प्रशिक्षकों द्वारा इन्हें कृषि एवं इससे सम्बद्ध तकनीकों का प्रशिक्षण भी मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि दोनों संस्थाओं द्वारा एक.एक समन्वय अधिकारी नियुक्त किया जाएगा।
मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. राजकुमार शर्मा ने शिक्षा विभाग तथा गृह विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ.विमला डुंकवाल ने विश्वविद्यालय की ओर से आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन विशेषाधिकारी इंजीनियर विपिन लढ्ढा ने किया। इस अवसर पर कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. आईपी सिंह, अनुसंधान निदेशक डॉ. पीएस शेखावत,भू सदृश्यता एवं राजस्व सृजन निदेशालय के निदेशक डॉ. सुभाष चंद्र तथा सहायक निदेशक जनसंपर्क हरि शंकर आचार्य मौजूद रहे
मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. राजकुमार शर्मा ने शिक्षा विभाग तथा गृह विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ.विमला डुंकवाल ने विश्वविद्यालय की ओर से आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन विशेषाधिकारी इंजीनियर विपिन लढ्ढा ने किया। इस अवसर पर कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. आईपी सिंह, अनुसंधान निदेशक डॉ. पीएस शेखावत,भू सदृश्यता एवं राजस्व सृजन निदेशालय के निदेशक डॉ. सुभाष चंद्र तथा सहायक निदेशक जनसंपर्क हरि शंकर आचार्य मौजूद रहे