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‘सुई धागा’ : कच्ची-पक्की सिलाई, बाकी सब बढिय़ा है!

locationजयपुरPublished: Sep 28, 2018 06:44:07 pm

Submitted by:

Aryan Sharma

निर्देशक शरत कटारिया की फिल्म ‘सुई धागा’ लिखावट के स्तर पर थोड़ी कमजोर है, लेकिन कलाकारों ने अच्छा काम किया है

Jaipur

‘सुई धागा’ : कच्ची-पक्की सिलाई, बाकी सब बढिय़ा है!

राइटिंग-डायरेक्शन : शरत कटारिया

म्यूजिक : अनु मलिक

बैकग्राउंड स्कोर : एंड्रिया गुइरा

सिनेमैटोग्राफी : अनिल मेहता

एडिटिंग : चारू श्री रॉय

लिरिक्स : वरुण ग्रोवर

रनिंग टाइम : 122.29 मिनट
स्टार कास्ट : वरुण धवन, अनुष्का शर्मा, रघुवीर यादव, नमित दास, महेश शर्मा, आभा परमार

आर्यन शर्मा/जयपुर. शरत कटारिया ने रोमांटिक-कॉमेडी ‘दम लगा के हईशा’ (2015) से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया था। अब वह ‘सुई धागा- मेड इन इंडिया’ लेकर आए हैं, जिसमें सुई-धागा, मशीन, सिलाई और हैंडीक्राफ्ट के जरिए मनोरंजन का ताना-बाना तैयार करने की कोशिश की है। फिल्म की कहानी मौजी (वरुण धवन) व उसकी पत्नी ममता (अनुष्का शर्मा) की है। मौजी रोजमर्रा की परेशानियों के बावजूद हमेशा कहता रहता है, ‘सब बढिय़ा है’! वह जहां नौकरी करता है, वहां का मालिक उसकी इंसल्ट करके मजे लूटता रहता है। एक दिन यह सब ममता देख लेती है। वह मौजी से कहती है कि ऐसी बेइज्जती वाली नौकरी की बजाय तो वह खुद का ही कोई कामकाज शुरू करे। चूंकि मौजी के दादा हैंडीक्राफ्ट कारीगर थे, लिहाजा मौजी भी सिलाई में पारंगत है। फिर वह कपड़े सिलने का काम शुरू करने की सोचता है, पर आर्थिक तंगी के कारण यह आसान नहीं है। फिर शुरू होता है मौजी का संघर्ष भरा सफर…।
वरुण और अनुष्का की अच्छी परफॉर्मेंस
फिल्म का सब्जेक्ट अच्छा है। कहानी का मुद्दा युवाओं को अपने परंपरागत कौशल को व्यवसाय में बदलने को प्रेरित करता है। शरत का निर्देशन अच्छा है, पर राइटिंग जल्दबाजी में की गई कच्ची-पक्की सिलाई की तरह है। स्क्रीनप्ले पर थोड़ा काम किया जाता तो बेहतरीन हो सकता था। वरुण ने मौजी का किरदार बखूबी निभाया है। उन्होंने सामान्य आदमी की लाइफ को पर्दे पर अच्छे से जीया है। वहीं सीधी-सादी ममता के किरदार में अनुष्का का काम अच्छा है। साधारण साड़ी व नाममात्र के मेकअप में अनुष्का की कैमिस्ट्री वरुण के साथ दिलकश लगी है। मौजी के पिता की भूमिका में रघुवीर यादव की परफॉर्मेंस सराहनीय है। गीत-संगीत कहानी के मिजाज से मेल खाता है, पर कोई गाना याद नहीं रहता। कैमरा वर्क आकर्षक है। फिल्म की रफ्तार धीमी है, जो बीच-बीच में थोड़ा बोर करती है। एडिटिंग से दुरुस्त किया जा सकता था।
क्यों देखें : ‘सुई धागा’ मौजी और ममता के संघर्ष की कहानी है, जो लोगों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने के लिए इंस्पिरेशन देती है। फिल्म में पिता-पुत्र, पति-पत्नी के बीच के सीक्वेंस इमोशनल और इंटरेस्टिंग है। ऐसे में एक बार देख सकते हैं ‘सुई धागा’।
रेटिंग: 3/5

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