इस परियोजना में सालगांव बांध का कुल केचमेंट एरिया 777.90 हेक्टेयर है और कुल भराव क्षमता 155.56 मिलियन घनफुट आंकी गई है। बांध का कुल डूब क्षेत्र 52.55 हेक्टेयर है, जिसमें से 5.96 हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि है तथा 46.59 हेक्टेयर निजी एवं सरकारी भूमि है। गौरतलब है कि आबू पर्वत की वर्तमान जल योजनाओं में पेयजल का मुख्य स्रोत अपर कोदरा एवं लोवर कोदरा है जिससे प्रतिवर्ष करीब 42.62 एमसीएफटी जल उपलब्ध होता है। जबकि आबू पर्वत की वर्तमान जल मांग 85.21 एमसीएफटी (स्कूल, आर्मी, टूरिस्ट की आबादी) आंकी गयी है। इस प्रकार जल की मांग उपलब्ध जल से काफी अधिक है। इस परियोजना के डिजाइन वर्ष 2071 की जल मांग 147.63 मिलियन घनफुट है तथा जल संसाधन विभाग के अनुसार सालगांव बांध से 75ः डिपेंडेबिलिटी पर 140 मिलियन घनफुट पेयजल उपलब्ध होगा। इस प्रकार जल मांग के अनुरूप सालगांव बांध में जो जल उपलब्ध होगा वह सस्टेनेबल होगा।
जन स्वास्थ्य अभियंत्रिकी विभाग की वित्त समिति ने परियोजना की डीपीआर जल संसाधन विभाग के माध्यम से तैयार करने के लिए 31.67 लाख की वित्तीय स्वीकृति जारी की थी और परियोजना की नीति निर्धारण समिति ने 250.54 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति जारी कर दी है। इस बांध के बनने से वर्षाकाल में बहकर व्यर्थ जाने वाले पानी का सदुपयोग हो सकेगा और आबू पर्वत वासियों के लिए पेयजल का वर्ष 2071 तक स्थाई समाधान हो सकेगा। इसके अतिरिक्त बांध से क्षेत्र के किसानों को भी सिंचाई की सुविधा मिलेगी एंव वन्यजीवों को भी पीने के पानी कि किल्लत से मुक्ति मिलेगी।
इससे पूर्व भी सांसद डांगी ने केन्द्रीय जल आयोग तथा विश्व बैंक की सहायता से बाँध पुनर्वास एवं सुधार परियोजना के अन्तर्गत रेवदर तहसील में स्थित सुकली सेलवाड़ा बाँध का जीर्णोद्धार, आधुनिकीकरण एवं सुधार कार्य स्वीकृत करवाया था। इस क्षेत्र के 20 गांवों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए 26.34 करोड़ की राशि की स्वीकृति कराई थी।