राजस्थान मृत्युभोज निवारण अधिनियम-1960 पहले से भी है, लेकिन सख्ती कभी नहीं हुई। अब प्रशासन सार्थक प्रयास के लिए सख्त हो गया है। इस निर्देश का हर वर्ग स्वागत कर रहा है। इस निर्देश के बाद फिल्म ( Rajasthani film ) मौसर की चर्चाएं फिर से राजस्थानी फिल्म इंडस्ट्री में होने लगी है। ‘मौसर’ मृत्युभोज को कहते है। फिल्म के डायरेक्टर अनिल सैनी से बातचीत।
अब देखती हूं ‘मौसर’ कौन करेगा? सैनी ने बताया कि फिल्म की शुरुआत ही मौसर डायलॉग से होती है। इसमें एक व्यक्ति के निधन पर उसके बेटे से गांव वाले कहते है अंतिम संस्कार के बाद मौसर की तैयारी कर। तब बेटा कहता है कि अंतिम संस्कार के लिए ही पैसे नहीं, मौसर कहां से होगा। वहीं, फिल्म के अंत में एक बालक को गांव वाले उसके दादा, पिता का मौसर करने को कहते है तो उसकी मां, बेटे और बेटी को लेकर कुंए में कूद सुसाइड कर लेती है। मां के अंतिम शब्द होते है ‘अब देखती हूं मौसर कौन करेगा?’
सरकार से मिला 6 लाख रुपए अनुदान डायरेक्टर ने बताया कि सरकार की गठित फिल्म अनुदान कमेटी ने फिल्म देखकर अनुदान में 6 लाख रुपए रिलीज और प्रमोशन के लिए दिए। एक घंटे 35 मिनट की यह फिल्म उस समय सरकारी महकमे में भी चर्चा का विषय बनी। रिलीज के बाद काफी कॉल आए। लोगों ने जागरुक होकर मौसर बंद करने का फैसला भी फोन करके बताया।
बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड इस फिल्म को राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2019 में ‘बेस्ट डायरेक्टर फॉर राजस्थानी फिल्म’ और बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड भी मिल चुका है। इसके राइटर अनिल भूप, निर्माता ओम साहू है। इसमें मुरारी लाल पारीक, उषा जैन, विनय, राशि, शितिज कुमार,मोनू, रानू काकड़, वर्षा, अमन, अर्जुन शर्मा, सुमन ने अभिनय किया।