फिलहाल वन्यजीव प्रेमियों को बाघों को देखने के लिए रणथंभौर या सरिस्का में जाना पड़ता है। मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में गत वर्ष अप्रेल में बाघ आ रहे हैं। इसके बावजूद अब तक पर्यटकों व आमजन के लिए दरवाजे नहीं खोले गए हैं। वन्यजीव प्रेमी बेसब्री से टाइगर रिजर्व के दरवाजे खुलने का इंतजार कर रहे हैं।
इसलिए बढ़ी संभावना मुकुन्दराहिल्स टाइगर रिजर्व में गत वर्ष 3 अप्रेल 2018 को रामगढ़ से बाघ टी-91(अभी एमटी-1) को रेस्क्यू कर मुकुन्दराहिल्स टाइगर रिजर्व के दरा क्षेत्र में छोड़ा था, लेकिन न्यायालय में मामला चले जाने से इसकी जोड़ी बनना संभव नहीं हुआ। न्यायालय व केन्द्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से हरी झंडी मिलने के बाद 18 दिसम्बर 2018 को मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में रणथंभौर से बाघिन-टी-106 (वर्तमान में एमटी-2) को लाकर शिफ्ट किया गया। इसे गत माह एनक्लोजर से निकालने के बाद जोड़ी को साथ-साथ विचरण करते देखा गया था। इसके चलते माना जा रहा है कि बाघ का जोड़ा पूरी तरह से यहां के वातावरण में ढल गया है व साढ़े तीन-चार माह में कुनबे में वृद्धि भी हो सकती है।
हालांकि फिलहाल घाव के चलते बाघिन को एनक्लोजर में रखा गया है, घाव में सुधार होने के बाद इसे वापस एनक्लोजर से निकालकर बाघ के साथ 82 वर्ग किलोमीटर भाग में छोड़ा जाएगा। वहीं विभाग की योजना के तहत टाइगर रिजर्व में जल्द ही एक बाघिन को और शिफ्ट किया जा सकता है। सुल्तानपुर क्षेत्र में विचरण कर रहे टाइगर को भी मकुन्दरा हिल्स में शिफ्ट करने की पूर्व में ही एनटीसीए से अनुमति मिल चुकी है। इसे ट्रंकोलाइज किया गया तो इसे मुकुन्दरा के सेल्जर क्षेत्र में छोड़े जाने की संभावना है। .
पर्यटकों के लिए प्रवेशद्वार मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व को देखने के लिए प्रारंभिक तौर पर चार स्थानों पर प्रवेशद्वार बनाए जाएंगे। सूत्रों के अनुसार दरा, सुंदरपुरा, मोरुकला व सीमलिया क्षेत्र से पर्यटकों को टाइगर रिजर्व में प्रवेश दिया जा सकता है। पूर्व में कोलीुपरा, सेल्जर रावठा, गड्ढे का माला क्षेत्र में प्रवेश द्वार बनाए जाने की योजना थी, लेकिन फिलहाल इन क्षेत्रों से टाइगर रिजर्व का प्रवेश द्वारा बनाए जाने पर विचार किया जा रहा है।