कोरोना को देखते हुए डब्ल्यूएचओ, स्वास्थ्य विभाग और निर्वाचन विभाग ने अपनी-अपनी तरफ से गाइड लाइन जारी कर रखी है। आमजन को उसी दायरे में रहते हुए अपना काम करना है। ऐसे में नगर निगम चुनाव अब सामने हैं। नामांकन भरने के बाद सभी प्रत्याशी चुनावी मैदान में कूद चूके हैं। कोरोना काल में कई बंदिशों के चलते उम्मीदवार और उनके समर्थक असमंजस में हैं कि वे किस तरह से अपने प्रतिद्धंदी को मात देकर विजय हासिल करें।
सोशल मीडिया विशेषज्ञों की चांदी –
वर्तमान हालातों में सभी के पास सोशल मीडिया ही बड़ा सहारा है। इसके लिए उम्मीदवार सोशल मीडिया विशेषज्ञों का सहारा ले रहे हैं। बाकायदा कई उम्मीदवारों ने तो पैसे देकर प्रोफेश्नल्स को बुलाया है ताकि वे अपने तजुर्बे से उनकी सोशल मीडिया पर ज्यादा से ज्यादा पब्लीसिटी करें और मतदाताओं को आकर्षित करें। सोशल मीडिया के सभी छोटे-बड़े प्लेटफार्म पर इन दिनों नगर निगम चुनाव के उम्मीदवार प्रचार करते नजर आ रहे हैं।
दिनभर की दौड़-घूप से आराम –
कोरोना के चलते नगर निगम का चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को दौड़-धूप से भी काफी आराम मिल रहा है। हर चुनाव में यही देखने का मिलता था कि उम्मीदवार सुबह से शाम तक जन संपर्क के चलते इधर-उधर घूमते रहते थे। चुनाव-चुनाव सुबह जल्दी घर से निकलना और देर रात को घर में वापस आना ही उनके जीवन का हिस्सा बन जाता था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। उम्मीदवार मतदाताओं से दूरी बनाकर अपना चुनाव प्रचार कर रहे हैं।
पोस्टर वॉर जोरों पर –
इस बार चुनाव प्रचार में पोस्टर वॉर भी जोरों पर है। उम्मीदवारों की ओर से सोचा जा रहा है कि जो जितने ज्यादा पोस्टर लगाएगा, उस उम्मीदवार की उतनी ही पब्लिसिटी होगी और दूसरे उम्मीदवार से वह ज्यादा मतदाताओं को आकर्षित कर पाएगा। काफी उम्मीदवार ऐसे भी हैं, जिन्होंने टिकट मिलने से पहले ही अपने क्षेत्र की दीवारों को पोस्टर से भर दिया। कुछ ऐसे भी है जिन्होंने पोस्टर तो लगाए पर उन्हें पार्टी से टिकट नहीं मिल पाया।
नए उम्मीदवारों को लगाना पड़ेगा ज्यादा जोर –
कोरोना काल में नए उम्मीदवारों को ज्यादा जोर लगाना पड़ेगा। खासकर उन उम्मीदवारों को जिनको कि उनके क्षेत्र में भी कम लोग जानते हैं। कोरोना काल से पहले मतदाताओं से जुडऩे के लिए जन संपर्क और रैली निकालकर शक्ति प्रदर्शन किया जाता था। इस बार ऐसा नहीं हो पाने के कारण नए उम्मीदवारों की परेशानी बढ़ गई है। हालाकि पिछले चुनावों की तुलना में इस बार वार्ड का क्षेत्र कम होने से उम्मीदवारों को कुछ राहत भी मिलेगी।