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जयपुर

इन मासूमों के हैं ऐसी गंभीर बीमारी, न चल पाते और ना उठा पाते हाथ, कहते हैं ‘अंकल, प्लीज हमारी हेल्प कीजिए…’

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जयपुरApr 03, 2019 / 10:20 pm

pushpendra shekhawat

Duchenne Muscular Dystrophy

इन मासूमों के हैं ऐसी गंभीर बीमारी, न चल पाते और ना उठा पाते हाथ, कहते हैं ‘अंकल, प्लीज हमारी हेल्प कीजिए…’

जया गुप्ता / जयपुर। ‘अंकल, प्लीज हमारी हेल्प कीजिए..। हम पढऩा चाहते हैं, स्कूल हमें एडमिशन नहीं देते। हम भी बाहर जाना चाहते हैं, मगर जा नहीं पाते। हमारे साथ हमारे मम्मी-पापा भी एक कमरे में बंधकर रह गए हैं। आप हमारी हेल्प करेंगे तो शायद हमारे जैसे दूसरे लोगों की भी मदद हो सकेगी।’ कुछ ऐसी ही गुहार लगाने मस्कुलर डिस्ट्रॉफी विकलांगता से पीडि़त बच्चे अपने परिजनों के साथ बुधवार को सरकार के दर पर पहुंचे। मानवाधिकार आयोग, विशेष योग्यजन निदेशालय, चिकित्सा विभाग में अधिकारियों से मिले और मदद की गुहार लगाई।

विकलांग बच्चों ने बताई अपनी कहानी

हीदा की मोरी निवासी 11 वर्षीय देवेश मलकानी ने बताया कि मैं पढ़ाई करना चाहता हूं, पर स्कूल एडमिशन नहीं देते। तीसरी क्लास तक तो जैसे-तैसे स्कूल चला भी गया। उसके बाद स्कूल वालों ने आने से मना कर दिया। दो साल हो गए। अगर पढ़ाई करता रहता तो आज छठीं क्लास में होता। मैं व्हील चेयर से ही बंध कर रह गया हूं। किसी की मदद के बिना खाना भी नहीं खा सकता। मुझे क्रिकेट देखना पसंद, मगर मैं स्टेडियम में मैच नहीं देख सकता। सरकार भी केवल 750 रुपए पेंशन दे रही है। इसके अलावा कोई और मदद नहीं है।
हाथ भी नहीं उठा सकता
चौमूं निवासी चिराग हर्षित सोनी ने बताया कि मुझे सात साल से मस्कुलर डिस्ट्राफी है। पहले मैं स्कूल जाता था। राजस्थान बोर्ड से आठवीं की परीक्षा पास की है। अब हाथ भी नहीं उठा सकता। सरकार कहती है कि विकलांगों को नौकरी में आरक्षण, पेंशन, छात्रवृत्ति, मोटर स्कूटी न जाने क्या-क्या लाभ दे रहे हैं। हम इसमें से पेंशन के अलावा कोई दूसरा लाभ नहीं ले सकते। हम कहां जाएं। मुझे जैसे बच्चे घर बैठे पढ़ाई कर सकें , क्या सरकार यह नहीं कर सकती।

शायद चल भी नहीं पाउंगा
श्रीमाधोपुर निवासी प्रियांशु वर्मा का कहना है कि मुझे मस्कुलर डिस्ट्राफी का शुरुआती स्टेज है। शायद तीन-चार साल में मैं चल भी नहीं पाउंगा। स्कूल मैने देखा ही नहीं है। मैं भी पढऩा चाहता हूं। दूसरे बच्चों की तरह खेलना चाहता हूं।

क्या है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी

मस्कुलर डिस्ट्राफी एक ऐसी बीमारी है जिसमें इंसान की शक्ति क्षीण हो जाती है। मांसपेशियां कमजोर होने के साथ सिकुडऩे लगती है। कुछ समय बाद टूटने लगती हैं। इस बीमारी से पीडि़त मरीजों की कम उम्र में ही मृत्यु हो जाती है। सरकार ने इस विकलांगता को नए दिव्यांगजन व्यक्ति अधिकार अधिनियम में तो शामिल किया। मगर मस्कुलर डिस्ट्राफी के मरीजों की सहूलियत के अनुरुप न तो सरकार की कोई योजना है और न ही सरकार विशेष प्रयास कर रही है।

ये मांगी मदद
– बच्चों को शिक्षा से जोडऩे के लिए ईशिक्षा की योजना बनाई जाए। ताकि बच्चे घर रहकर भी शिक्षा ले सकें।

– इस श्रेणी के लिए पेंशन की राशि बढ़ाई जाए या मरीजों के परिवारजनों को विशेष भत्ता दिया जाए।
– मरीजों के परिवार को बीपीएल के समक्ष सुविधाएं दी जाएं।
– जिला स्तर पर प्रत्येक माह की निर्धारित तिथि को जागरुकता एवं सहायता शिविर लगाया जाए। गंभीर स्थिति वाले मरीजों को पुनर्वास योजना से जोड़ा जाए।
– राज्य स्तर पर गंभीर बीमारियों के मरीजों के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाए। साथ ही प्रत्येक जिले में एएनएम व जीएनएण घर-घर सर्वेक्षण कर मरीजों का चिन्हीकरण करें।
– तहसील स्तर पर फिजियोथैरेपी की सुविधा नि:शुल्क दी जाए।

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