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मेमोरी बूस्टिंग के लिए अच्छा है रोजाना म्यूजिक सुनना

locationजयपुरPublished: Feb 14, 2020 02:48:11 pm

Submitted by:

Archana Kumawat

हाल ही चीन की सिंघुआ यूनिवर्सिटी के अध्ययन से सामने आया कि संगीत मूड और संज्ञान को बढ़ाता है।


तनाव और डिप्रेशन होगा कम :

एक स्टडी से सामने आया कि म्यूजिक सुनने से तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन कार्टिसोल का स्तर कम किया जा सकता है। यह अध्ययन ४०० लोगों पर किया गया। अध्ययन में पाया गया कि म्यूजिक ब्रेन कैमिस्ट्री पर पॉजिटिव प्रभाव डालता है। इस तरह मेंटल और फिजिकल, दोनों ही तरह के लाभ मिलते हैं। म्यूजिक मूड को बेहतर कर तनाव दूर करता है और इम्यूनिटी को भी बूस्ट करता है। इससे सोशल बॉन्डिंग भी मजबूत होती है।

संज्ञान को बढ़ाता है म्यूजिक :

म्यूजिक ब्रेन की कार्यक्षमता को भी बढ़ाकर आपको स्मार्ट बनाएगा। वैज्ञानिक शोध के अनुसार म्यूजिक सुनने से लिखने-पढऩे का कौशल विकसित होता है। साथ ही तार्किक और गणितीय क्षमता भी बढ़ती है। किसी भी उम्र में मानसिक क्षमता को बढ़ाना है तो म्यूजिकल उपकरण को सीखना बेस्ट तरीका है। एक अध्ययन के अनुसार यदि युवावस्था में चार साल तक कोई म्यूजिक सीखें तो ४० साल की उम्र में भी ब्रेन फंक्शन अच्छा रहेगा। यदि आप कोई म्यूजिशियन नहीं है तो भी मनोरंजन के लिए संगीत सुनना भी माइंड और बॉडी पर पॉजिटिव इंपेक्ट डालता है। म्यूजिक प्रोडक्टिविटी को भी इंप्रूव करने का काम करता है।

मेमोरी बूस्टिंग :

याददाश्त को बढ़ाने के लिए भी संगीत सुनना अच्छा होगा। ओल्डर एडल्ट्स को अपनी वर्किंग मेमोरी को इंप्रूव करने के लिए म्यूजिक सुनना चाहिए। इतना ही नहीं, डिमेंशिया और अल्जाइमर्स के मरीजों के लिए भी म्यूजिक सुनना लाभकारी है। म्यूजिक ब्रेन को शांत करने के साथ ही आपकी एकाग्रता को भी बढ़ाने का काम करता है। अन्य अध्ययनों से सामने आया कि यदि अल्जाइमर्स के रोगी शास्त्रीय संगीत सुनें तो उनकी याददाश्त को बढ़ाया जा सकता है। यही कारण है कि पिछले कुछ सालों से म्यूजिक थैरेपी का ट्रेंंड चल पड़ा है। ऑटिज्म और एडीएडी से पीडि़त बच्चों के लिए भी म्यूजिक थैरेपी बेस्ट ऑप्शन है।
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