नगर निगम चुनाव में वार्ड बदलकर चुनाव लड़ना कोई नई बात नहीं है। वार्ड आरक्षण लॉटरी के बाद जब किसी नेता की स्थानीय वार्ड से दावा नहीं कर पाने की मजबूरी होती है तब वो नज़दीकी या अन्य कोई वार्ड से दावेदारी करता है। लेकिन अब भाजपा से टिकिट की दावेदारी करने वाला ऐसा नहीं कर पायेगा।
भाजपा का 65 वर्ष से अधिक आयु के दावेदार को टिकिट नहीं देने के फैसले ने भी कई नेताओं को मायूस कर दिया है। जानकारी के मुताबिक़ पार्टी में ऐसे कई नेता हैं जो उमरदराज होते हुए भी पार्षद चुनाव लड़ने की चाह रख रहे थे। मापदंड तय होने से पहले ऐसे कई नेताओं ने वार्ड पार्षद चुनाव के लिए भाजपा से टिकिट का दावा भी किया।
नगर निगम चुनाव के लिए नामांकन भरने की अंतिम तारिख से ठीक पहले भाजपा के दो महत्वपूर्ण मापदंड में फेल हो रहे नेताओं का अब निर्दलीय चुनाव लड़ना ही एकमात्र विकल्प रह गया है। दरअसल, ये वो नेता हैं जो पार्टी से जुडी हर गतिविधियों में शामिल रहे और उनमें बध्चाकर मौजूदगी दर्ज करवाई। लेकिन अब वे पार्टी मापदंडों में खरे नहीं उतर रहे। संगठन से जुड़ाव होने के कारण वे कांग्रेस पार्टी से भी टिकिट की मांग नहीं कर सकते। लिहाजा उनके पास बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ने का ही विकल्प रह गया है।