शर्तों के मुताबिक निगम को 500 करोड़ के लोन की रकम 15 साल में चुकानी होगी। दो साल का पीरियड मोरेटोरियम होगा यानि इस अवधि में निगम को लोन का पैसा चुकाना नहीं पड़ेगा। इसके बाद निगम को हर महीने 4.80 करोड़ रुपए प्रति महीने के हिसाब से लोन का पैसा देना होगा। लॉक डाउन और कोरोना संक्रमण की वजह से निगम इस बार वसूली में पिछड़ गया है। सरकार की ओर से भी सख्ती नहीं करने के निर्देश दे रखे हैं, ऐसे में निगम के लिए यह राशि चुकाना टेढ़ी खीर साबित होगा।
भत्ते बढ़ाने की तैयारी, पार्षद मांग रहे विकास कार्यों के लिए पैसा नगर निगम ग्रेटर की पहली साधारण सभा की बैठक में पार्षदों के भत्ते बढ़ाने की भी तैयारी की जा रही है। अगर सरकार से भत्ते बढ़ाने को मंजूरी मिल जाती है तो निगम पर अतिरिक्त भार पड़ेगा। इसके लिए पार्षद लगातार महापौर पर अपने कार्यालयों को सजाने—संवारने के लिए फंड देने की भी मांग कर रहे है।
ठेकेदारों का 300 करोड़ रुपए बकाया नगर निगम पर ठेकेदारों का भी 300 करोड़ रुपए बकाया चल रहा है। मार्च, 2019 के बाद पिछले 22 माह से ठेकेदारों को पैसा नहीं दिया गया है। यही वजह है कि ठेकेदार 17 दिन से हड़ताल पर चल रहे हैं। लोन से जो पैसा मिलेगा, उसका एक बड़ा हिस्सा ठेकेदारों की बकाया चुकाने पर खर्च होगा।