किवदंती है कि नक्की झील का निर्माण देवताओं ने अपने नाखूनाें से खोद कर किया था इसीलिए इसका नाम नक्की झील पड़ा। शुरू में इसे नख की झील कहा जाता था। समय के साथ बदल कर इसका नाम नक्की झील पड़ गया। दूसरी एक और किवदंती के अनुसार स्थानीय राजा ने अपनी बेटी की शादी के लिए शर्त रखी थी। उस शर्त के अनुसार जो भी इंसान एक रात में झील खोद देगा। उसकी शादी राजकुमारी से कर दी जाएगी। एक स्थानीय निवासी रसिया बालम ने इस शर्त को पूरा कर दिया। लेकिन बाद में राजा अपनी शर्त से मुकर गया। झील के पास जैन मंदिर के पीछे राजकुमारी और स्थानीय निवासी का मंदिर बना हुआ है।
नक्की झील समुद्र तल से 1200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित भारत की एकमात्र झील है। झील ढाई किलोमीटर के दायरे में फैली हुई है। झील के किनारे एक सुंदर बगीचा है, जहां शाम के समय घूमने और नौकायन के लिए पर्यटकों का हुजूम उमड़ पड़ता है। राजस्थान और गुजरात की सीमा में स्थित माउंट आबू के बाजारों में गुजरात की झलक भी दिखाई देती है। झील के किनारे ही एक मुख्य बाजार है। यहां पर राजस्थान और गुजरात की बनी वस्तुएं खूब मिलती हैं।
माउंट आबू रेल, सड़क और हवाई मार्ग से पहुंचा जा सकता है। हवाई मार्ग से माउंट आबू जाने के लिए आपकाे
उदयपुर एयरपोर्ट जाना हाेगा। उदयपुर से माउंट आबू करीब 185 किलाेमीटर दूर है। यहां से आसानी से माउंट आबू के लिए टैक्सी उपलब्ध है। सड़क मार्ग से आने वाले के लिए भी राजस्थान के प्रमुख शहरों से बस और टैक्सी की सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसके अलावा रेल मार्ग से आने वाले लोगो के सबसे नजदीक स्टेशन आबू रोड है जो कि माउंट आबू से करीब 22 किलोमीटर की दूरी पर है।