समाज के लिए मिसाल हैं पावटा की नर्मदा देवी, जो आज भी अपनी आमदनी का एक हिस्सा बालिका शिक्षा पर खर्च कर रही हैं।
बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने की बात तो सभी करते हैं, लेकिन बहुत कम ऐसे लोग होते हैं जो कथनी और करनी के अंतर को खत्म कर इसे सार्थक कर पाते हैं। ऐसी ही समाज के लिए मिसाल हैं पावटा की नर्मदा देवी, जो आज भी अपनी आमदनी का एक हिस्सा बालिका शिक्षा पर खर्च कर रही हैं। नर्मदा देवी ने बताया कि कस्बे में राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय जर्जर भवन में चल रहा था। इस भवन की दशा देखकर हमेशा मन में अनहोनी होने की आशंका सी बनी रहती थी। मासूम बालिकाओं के सुरक्षित जीवन को देखते हुए नर्मदा देवी ने अपने पति बिहारी लाल जोशी से इस मामले को लेकर बात की। नर्मदा देवी के पति भी उनकी ही तरह दूसरों का दुख: दर्द समझते थे। उन्होंने निर्मला देवी का इस परोपकार के
काम में साथ दिया और 1998 में 35 लाख की लागत से करीब 13 कमरों व हाल का भवन बनवाकर बालिका शिक्षा को समर्पित कर दिया। नर्मदा देवी ने बताया कि उनके पति का नागपुर में देसी दवा का बड़ा कारोबार था और उनके कोई संतान भी नहीं थी। संतान की कमी को दूर करने के लिए उन्होंने एक बच्चा गोद भी लिया, लेकिन वह भी चल बसा। इसके बाद वे दोनों बालिका शिक्षा और परोपकार के काम में जुट गए। पति के गुजरने के बाद भी नर्मदा देवी ने बालिका शिक्षा को आगे बढ़ाने का क्रम जारी रखा। करीब 80 वर्षीय नर्मदा देवी अपना काम स्वयं करती हैं व किराये से होने वाली आमदनी से अपना खर्च चलाती है। नर्मदा देवी अभी भी अपनी आमदनी में से परोपकार के लिए खुले हाथ से दान देती रहती हैं। विद्यालय की प्रचार्या सुमित्रा फूलवारी का कहना है कि नर्मदा देवी ने संचित धन को परोपकार में लगाने की प्रेरणा अपने पति को देकर कस्बे में विद्यालय भवन बनवाया, जिससे बालिकाओं को शिक्षा के लिए एक संबल मिला है। आज भी नर्मदा देवी व इनके परिजन विभिन्न पर्वों पर फल मिठाई आदि बांटते हैं व विद्यालय के विकास में भी सहयोग करते हैं।