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एक ऐसा कस्बा, जहां मुस्लिम समाज के लोग सजाते हैं भगवान नृसिंह की पालकी

locationजयपुरPublished: May 14, 2019 01:38:50 pm

Submitted by:

SAVITA VYAS

सद्भाव का प्रतीक है चार सौ साल पुरानी नृसिंह लीला

jayanti

एक ऐसा कस्बा, जहां मुस्लिम समाज के लोग संजाते हैं भगवान नृसिंह की पालकी

जयपुर। निकटवर्ती ग्राम मूंडरू कस्बे में श्रद्धा और आस्था का प्रतीक भगवान नृसिंह लीला महोत्सव एक बार फिर साकार हुआ। कस्बे में लीला महोत्सव का आयोजन चार सौ सालों से किया जा रहा है। खास बात यह है कि इस समारोह में आस-पास के गांवों से लोग पहुंचते हैं और भगवान नृसिंहजी की पालकी को नगर भ्रमण कराते हैं। नृसिंह मंदिर के पुजारी महावीर छितमका ने बताया कि मूंडरू कस्बे को ठाकुर हरदयेराम ने संवत 1650 में बचाया था । तब से आज तक हर वर्ष नृसिंहजी की लीला का आयोजन किया जाता है। वैशाख सुदी जानकी नवमी को होने वाली लीला को लेकर करीब एक माह पहले ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। सोमवार को लीला महोत्सव कस्बे के कोल्डी चौक में हुआ।
कैलाश काका के अनुसार लीला में मुस्लिम समाज के लोग नृसिंहजी की पालकी सजाते हैं और परशुराम के अस्त्र-शस्त्र बनाते हैं। सैन समाज के लोग लीला में मशाल दिखाते हैं। दर्जी समाज के लोग लीला की पोशाक, जांगिड़ समाज लीला के दौरान काम आने वाले लकड़ी के घोड़े, पालकी व लकड़ी की अन्य चीजें बनाते हैं। छितमका ब्राह्मण परिवार रातभर लीला के मुख्य पात्रों की भूमिका अदा करता है। प्राचीन समय से ही पारीक परिवार की राम-लक्ष्मण का रोल अदा करने वाले पात्रों को सजाने की जिम्मेदारी है। राजपूत समाज लीला की व्यवस्थाएं व सुरक्षा का कार्य करता है।
रातभर चला मूकाभिनव

रमेश कलावटिया ने बताया कि सोमवार को नृसिंह लीला का मूकाभिनय मंचन रातभर किया गया। रथयात्रा के रूप में भगवान विष्णु के 24 अवतारों की झांकियां सजाई गईं। मंच पर 24 अवतारों के मुखौटे धारण कर नृत्य शैली में मंचन किया गया। इस दौरान परशुराम के उग्र क्रोध, सीता स्वयंवर, शंखासुर का वेदों का हरण करना, मच्छवतार मंचन, हरिणाकश्यप का वराह अवतार द्वारा वध, सागर मंथन के लिए कच्छप अवतार का मंचन, कृष्णावतार मंचन के साथ कंस एवं कुडायतीर हाथी के वध का प्रसंग दिखाया गया। सुबह भगवान नृसिंहजी का प्राकट्य हुआ। इसके बाद भगवान नृसिंह ने नगर दर्शन कर भक्तों को आशीर्वाद प्रदान किया।
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