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मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए नेशनल एक्शन प्लान

locationजयपुरPublished: Sep 14, 2019 05:53:56 pm

Submitted by:

Ashish

National Action Plan For Man Animal Confilict : देश के विभिन्न राज्यों में इंसान और वन्यजीवों के बीच सामने आ रही संघर्ष की घटनाओं से केन्द्र सरकार गंभीर है।

मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए नेशनल प्लान

मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए नेशनल प्लान

जयपुर

National Action Plan For Man Animal Confilict : देश के विभिन्न राज्यों में इंसान और वन्यजीवों के बीच सामने आ रही संघर्ष ( human and wildlife conflict ) की घटनाओं से केन्द्र सरकार गंभीर है। लगातार वन्यजीव और मानव के बीच संघर्ष के मामले सामने आ रहे हैं। इन संघर्ष को रोकने के लिए एक नेशनल एक्शन प्लान बनाने की तैयारी की जा रही है। वन्यजीवों की गतिविधियां आबादी क्षेत्रों में भी देखने को मिल रही हैं। ऐसे में इस संघर्ष से रोकने के लिए वन और पर्यावरण मंत्रालय एक्शन प्लान बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक करेगा। इस बैठक में देश के विभिन्न राज्यों के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालकों के साथ वन और पर्यावरण से जुड़े अन्य अधिकारी भाग लेंगे।

आपको बता दें कि नेशनल एक्शन प्लान पर मंथन करने के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ( Home | Forest and Environment Department ) ने उत्तराखंड ( Uttarakhand ) में 18 और 19 सितंबर को ऋषिकेश में एक बैठक बुलाई है। इस बैठक में एक्शन प्लान के तहत नीति, क्षमता विकास, लैंडस्केप स्तर पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने, मानव एवं वन्य जीवों के बीच सामने आ रहे संघर्ष को रोकने के लिए नवीन तकनीकी का उपयोग करने पर मंथन किया जाएगा। इतना ही नहीं, जनसहभागिता जैसे बिंदुओं पर भी इस बैठक में विचार किया जाएगा। आपको बता दें कि उत्तराखंड में अधिक वन भूभाग के चलते यहां पर मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष के कई मामले सामने आ चुके हैं। यहां पर गुलदार, बाघ, हाथी, भालू जैसे जानवर जहां खतरे का सबब बन रहे हैं, वहीं बंदर, लंगूर, वनरोज जैसे अन्य वन्यजीवों ने भी आबादी क्षेत्रों में लोगों की नींद उड़ा रखी है।

देश के अन्य राज्यों में भी ऐसी ही स्थिति है। राजस्थान में भी कई जिलों में जंगली जीवों के आबादी क्षेत्र का रूख करने, लोगों पर हमला करने की घटनाएं सामने आती रही हैं। वहीं, कई स्थानों पर वन्यजीवों पर इंसानी हमलों की घटनाएं भी सामने आती रही हैं। हालांकि कई राज्यों में इस संघर्ष को रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन इस पर एक नेशनल एक्शन प्लान नहीं होने के चलते इसकी कमी महसूस की जा रही है।

जैव विविधता का संरक्षण जरूरी
मानव और वन्यजीव संघर्ष के मसले पर भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के प्रोफेसर रमन सुकुमार का यह मानना है कि इस संघर्ष के लिए सीधे तौर पर मानवीय दखल जिम्मेदार है। अल्मोड़ा में एक कार्यक्रम में उन्होंने अपनी बात कहते हुए यह चेताया कि प्राकृतिक वन क्षेत्रों के विखंडन से दिक्कत हो रही है। इस विखंडन से वन्यजीवों के खाद्य संसाधन खतरे में हैं। अगर समय रहते व्यापक नीतिगत ढांचा तैयार नहीं किया जाएगा तो इंसान और वन्यजीवों के बीच में संघर्ष का यह संकट और गहरा जाएगा। प्रोफेसर सुकुमार का यह मानना है कि जैव विविधता संरक्षण के जरिए मानव वन्यजीव संघर्ष कम किया जा सकता है।

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