नियम नहीं बनने के कारण यह कानून चार साल बाद भी लागू नहीं हो पाया। संसद में सीएए पारित होने और राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद सीएए को मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव बताते हुए देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए थे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गत दिनों कहा था कि सीएए चुनाव से पहले लागू होगा। उन्होंने विपक्ष, खासकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, पर जनता को गुमराह करने का भी आरोप लगाया था।
पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश से आने वाले वहां के धार्मिक रूप से प्रताडि़ता अल्पसंख्यकों यानी हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, इसाई व पारसी समुदाय को नागरिकता कानून, 1955 के तहत पंजीकरण के माध्यम से भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान पहले से है लेकिन इसकी प्रक्रिया पेचीदा होने और सबूत पेश करने की अनिवार्यता के कारण उन्हें नागरिकता में कठिनाई होती है। सीएए,2019 के जरिये नागरिकता की प्रक्रिया आसान की गई है।
केंद्र सरकार ने पिछले दो वर्षों में नौ राज्यों के गृह सचिव और 30 से अधिक जिला मजिस्ट्रेटों को नागरिकता कानून, 1955 के प्रावधानों के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले गैर-मुस्लिम छह समुदाय को भारतीय नागरिकता देने के अधिकार दिए हैं। ये नौ राज्यों में राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र हैं।