माथुर ने सोमवार को यहां मीडिया से बातचीत में कहा, एनआरसी चुनावी मुद्दा नहींं है। बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण देश की आम जनता त्रस्त हैं। असम में आधे से ज्यादा जिले बांग्लादेशी बहुल हो गए हैं। वोट बैंक की राजनीति के कारण कांग्रेस ने एनआरसी को लेकर कभी हिम्मत नहीं दिखाई। लेकिन भाजपा के लिए देश सर्वोपरि है।
उन्होंने खा कि हमारी मंशा है देश में कोई भी घुसपैठिया नहीं आए। कानून-व्यवस्था के लिए यह बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि चुनावी मुद्दा सिर्फ विकास होगा और 2014 से ज्यादा सीटें जीतेंगे। 2019 में पुन: सरकार बनाने के बाद सभी राज्यों से बात कर देशभर में एनआरसी लागू कराएंगे।
…इधर विदेशियों को बायोमैट्रिक वर्क परमिट देने पर विचार कर रहा है केंद्र
असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी(एनआरसी) के अद्यतन के बाद जो लोग विदेशी करार दिए जाएंगे उन्हें केंद्र सरकार बायोमैट्रिक वर्क परमिट देने पर गंभीरता से विचार कर रही है। केंद्र की सोच है कि एनआरसी में लाखों लोगों के नाम नहीं होंगे और उन्हें बांग्लादेश भेजना संभव नहीं होगा। इसलिए उन्हें बायोमैट्रिक वर्क परमिट अगले कुछ सालों के लिए देने पर विचार हो रहा है।
असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी(एनआरसी) के अद्यतन के बाद जो लोग विदेशी करार दिए जाएंगे उन्हें केंद्र सरकार बायोमैट्रिक वर्क परमिट देने पर गंभीरता से विचार कर रही है। केंद्र की सोच है कि एनआरसी में लाखों लोगों के नाम नहीं होंगे और उन्हें बांग्लादेश भेजना संभव नहीं होगा। इसलिए उन्हें बायोमैट्रिक वर्क परमिट अगले कुछ सालों के लिए देने पर विचार हो रहा है।
केंद्र का मानना है कि लाखों लोगों के निर्वासन में काफी समय लगेगा। निर्वासन की वर्तमान प्रक्रिया के अनुसार विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा बांग्लादेशी करार दिए गए व्यक्ति का बांग्लादेश स्थित सही ठिकाना बांग्लादेश सरकार काे मुहैया कराना पड़ता है। वहां इसका सत्यापन होने के बाद ही बांग्लादेश किसी को स्वीकार और अस्वीकार करने की बात बताता है। यह एक लंबी प्रक्रिया है। पिछले महीने ही एक साथ 52 बांग्लादेशियों को बांग्लादेश निर्वासित किया गया था। गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्री ने अपने हाल के दौरे के दौरान बांग्लादेश सरकार के समक्ष यह मुद्दा उठाया था।